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India News(इंडिया न्यूज), IELTS Exam Issue in Parliament: माता-पिता का सपना होता है कि वो अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्तर की शिक्षा दें और पढ़ाई के लिए बाहर भेजें। अकसर आप देखते भी होंगे कि इसी सपने को पूरा करने में वो बच्चों के पीछे लाखों रुपये लगा देते हैं। ये पैसे कई बार डूब जाते हैं जब आपकी उम्मीदों से कम आपको प्राप्त हो। विदेश में पढ़ने के लिए जब माता-पिता अपने बच्चों को भेजते हैं तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि विदेशी इंस्टीट्यूट्स आपको लूट रहे होते हैं। लेकिन कई पेरेंट्स और बच्चे वहां गलत हो जाते हैं और गलत फैसले लेते हैं।
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ऐसा ही एक विवाद देशभर में चल रहा है IELTS Exam को लेकर। बता दें कि ये परीक्षा अंग्रेजी शिक्षा के लिए विद्यार्थी देते हैं ताकि उनका एडमिशन विदेश में हो जाए। लेकिन पैसों की रकम इस कदर बताई गई, कुछ इस तरीके से उसे लूटने का प्रयास किया जा रहा है कि ये एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। और इसी मुद्दे को आज राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने सब के सामने रखा। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि ये मुद्दा क्या है और संसद में सासंद कार्तिकेय शर्मा ने इस पर क्या पक्ष रखा।
राज्यसभा सदन में सांसद कार्तिकेय शर्मा ने IELTS (International English Language Testing System) परीक्षा को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि, हम सभी को एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने की जरूरत है और वो ये है कि इंटरनेशनल इंग्लिश टेस्टिंग सिस्टम एक परीक्षा है जो विदेश में पढ़ने जाने से पहले विद्यार्थियों को देनी होती है। इसी आधार पर विदेशी यूनिवर्सिटी बच्चों का चयन करती है। हर साल 3 बिलियन डॉलर 20 हजार रूपये भारतीय छात्र इस परीक्षा के लिए देते हैं। साफ जाहिर हो रहा है कि विदेश में बहुत बड़ी रकम जा रही है। मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश में ही एक ऐसे संस्था का निर्माण हो जो इस परीक्षा को ले। साथ ही मैं अपील करता हूं कि जो बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके लिए भी एक कदम उठाया जाए, फीस को कम किया जाए। ताकि वो भी इन कोर्स में दाखिला ले सकें।
आईईएलटीएस का पूरा नाम इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम है। यह एक अंग्रेजी भाषा की परीक्षा है जिसे ऐसे देश में अध्ययन या काम करने पर विचार करने वाले अंतर्राष्ट्रीय उम्मीदवारों को देना आवश्यक है जहाँ अंग्रेजी संचार की मुख्य भाषा है। सबसे लोकप्रिय देश जहाँ विश्वविद्यालय प्रवेश के लिए आईईएलटीएस स्वीकार किया जाता है, वे हैं यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएसए और कनाडा। यह परीक्षा परीक्षार्थियों की चार बुनियादी अंग्रेजी भाषा कौशल – सुनना, पढ़ना, बोलना और लिखना – में संवाद करने की क्षमता को मापती है।
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