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India News (इंडिया न्यूज), Uttarakhand Tunnel Rescue: कई दिनों से उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों का बचाव कार्य जारी है। आज इस अभियान का 15वां दिन है। गुरुवार को उत्तरकाशी सुरंग बचाव कार्य में आई बाधा को शुक्रवार दोपहर को हटा दिया गया, लेकिन शाम को फिर से शुरू हुई ड्रिलिंग एक घंटे बाद बंद हो गई। जब होरिजेंटल निकासी सुरंग में औगर मशीन से बात नहीं बनी है तो अब वर्टिकल ड्रिलिंग पर जोर दिया जा रहा है। जिसके लिए बचाव एजेंसियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
25 नवंबर की रात औगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने के बाद शनिवार सुबह सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ने सिलक्यारा घटनास्थल पर खड़ी पाइल ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी पर पहुंचाने की कवायद शुरु कर दी है।
बचाव कार्य को दौरान सुरंग में भारी कंपन्न महसूस किया गया। जिसकी वजह से मशीन को रोकना पड़ा। कुछ देर बाद धीरे-धीरे इसे पहाड़ी पर बनाए गए बेंच पर स्थापित कर दिया गया। इसके अलावा मशीन के सहायक पार्ट व ड्रिल कराने वाली चार से पांच पाइल को पहुंचाने का काम भी हो चुका है। इन पाइल को ही ड्रिल किया जाएगा। साथ ही इसे वर्टिकल (लंबवत) निकासी सुरंग बनाया जाएगा।
कल दोपहर बाद जब वर्टिकल ड्रिलिंग की भारी-भरकम मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर ले जाया जा रहा था, तब सुरंग के भीतर भारी कंपन्न महसूस किया गया। दरअसल ड्रिलिंग मशीन पहाड़ी पर बनाई गई 1200 मीटर लंबी वैकल्पिक सड़क से करीब 300 मीटर पीछे थी। इस बीच सुरंग में काम कर रहे तकनीकी कार्मिकों ने कंपन्न महसूस किया। खतरे को देखते हुए ही मशीन के ऑपरेटर को कॉल कर संचालन बंद करवाया गया ।
एसजेवीएनएल के महाप्रबंधक जसवंत कपूर व अक्षय आचार्य ने खबर एजेंसी को बताया कि ”1.2 मीटर व्यास की ड्रिलिंग पहाड़ी के ऊपर चैनेज 300 से की जाएगी। जिसकी गहराई 88 मीटर के करीब होगी। यह लंबवत सुरंग मुख्य सुरंग के उस हिस्से के पास आरपार होगी, जहां श्रमिक फंसे हैं। आरपार की स्थिति में सुरंग की छत पर बने लोहे के ढांचे के साथ टकराव न हो, इसके लिए निर्माण कंपनी से डिजाइन को मंगाकर पूरा प्लान तैयार किया गया है। यदि कहीं हल्की बाधा आती है तो उसे आसानी से पार कर लिया जाएगा।”
कल ये भी खबर आई कि सुरंग के मुहाने के ऊपर राक बोल्टिंग वाले पक्के हिस्से पर पानी के निशान दिख रहे हैं। जो कि कुछ दिन पहले तक ऐसा नहीं था। यह असमान्य या सामान्य इसे लेकर कोई सफाई नहीं दी गई है।
फंसे हुए श्रमिकों को उनके परिवार के सदस्यों से जोड़ने में सक्षम बनाने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा ध्वस्त सुरंग स्थल से 200 मीटर की दूर पर टेलीफोन सुविधा स्थापित की गई है। वहीं, अधिकारियों ने आगे कहा कि पिछले 13 दिनों से आंशिक रूप से ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को एक हैंडसेट दिया जाएगा।
इसको लेकर बीएसएनएल के डीजीएम राकेश ने कहा कि, “हमने एक टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किया है। हम उन्हें भोजन भेजने के लिए इस्तेमाल होने वाले पाइप के माध्यम से लाइन से जुड़ा एक फोन भी देंगे। इस फोन में इनकमिंग और आउटगोइंग सुविधाएं रहेगी। जिससे वे अपने परिवार से बात कर सकते हैं।” चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि, वर्तमान में, श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के बीच संचार की सुविधा छह इंच चौड़े पाइप द्वारा की जाती है। जहां बचाव कर्मियों और फंसे हुए लोगों के रिश्तेदारों को अंदर की स्थिति को देखने की अनुमति देने के लिए पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी डाला जाता था। वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि, इस बीच फंसे हुए श्रमिकों के बचाव अभियान में उम्मीद से अधिक समय लगेगा। क्योंकि भारी ड्रिल मशीन – जिसको ऑगर मशीन कहा जाता है।
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