India News (इंडिया न्यूज), CRPF Ration: केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद, देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force) के अधिकारियों के राशन मनी भत्ते में कटौती की गई है। इस निर्णय के बाद सीआरपीएफ के ग्राउंड कमांडर, सहायक कमांडेंट और कमांडेंट जैसे रैंक वाले अधिकारियों के लिए राशन मनी भत्ता बंद कर दिया गया है। इससे सीआरपीएफ अधिकारियों को औसतन 4000 रुपये प्रति माह का आर्थिक नुकसान होगा, जिससे उनके मनोबल में कमी आई है।
क्या था पहले का नियम?
चार साल पहले, यानी 2020 में, सीआरपीएफ के अधिकारियों और कर्मियों को डिटेचमेंट अलाउंस और राशन मनी दोनों भत्ते दिए जाने का आदेश जारी किया गया था। तब यह घोषणा की गई थी कि अधिकारी और कर्मी, यदि दोनों भत्तों के योग्य हैं, तो उन्हें दोनों भत्ते दिए जाएंगे, चाहे वे किसी भी स्थान पर तैनात हों। इसका मतलब था कि किसी कर्मी या अधिकारी को यह कहकर कोई एक भत्ता नहीं रोका जाएगा कि उसे पहले से ही दूसरा भत्ता मिल रहा है।
इस आदेश का उद्देश्य था कि सीआरपीएफ के कर्मचारियों और अधिकारियों को बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाए, और अगर वे किसी अन्य स्थान पर तैनात हैं तो भी उन्हें राशन मनी का फायदा मिले। विशेष रूप से, यह आदेश उन कर्मियों के लिए था जिनके पास पहले से कोई एक भत्ता था और जो अन्य भत्ते से वंचित थे। तब यह आदेश भी जारी किया गया था कि कर्मचारियों को राशन मनी का लाभ 1998 से दिया जाएगा, यानी उन्हें पिछला बकाया भी भुगतान किया जाएगा।
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सीआरपीएफ के अधिकारियों की याचिका और कोर्ट का निर्णय
सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन के सेकेंड इन कमांड, विक्रम सिंह ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि डिटेचमेंट अलाउंस और राशन मनी भत्ते एक-दूसरे से अलग हैं और दोनों भत्तों का संबंध ड्यूटी से है। कोर्ट ने विक्रम सिंह के तर्क को सही माना और आदेश दिया कि सभी योग्य कर्मियों को दोनों भत्ते दिए जाएं, चाहे वे किसी भी स्थान पर तैनात हों। इसके बाद, राशन मनी और डिटेचमेंट अलाउंस का भुगतान किया गया और एरियर (पिछला बकाया) भी जारी किया गया।
नई व्यवस्था में क्या बदलाव हुआ है?
हालांकि, अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नया आदेश जारी किया है जिसके तहत सीआरपीएफ के अधिकारियों और कर्मियों को राशन मनी भत्ता केवल ड्यूटी बटालियन में तैनाती के दौरान ही मिलेगा। अब, जो अफसर अन्य स्थानों पर जैसे कि ग्रुप सेंटर, सेक्टर ऑफिस, निदेशालय, ट्रेनिंग सेंटर या अन्य स्टेटिक संस्थानों में तैनात होंगे, उन्हें राशन मनी भत्ता नहीं मिलेगा। इस बदलाव के बाद अधिकारियों में असंतोष और निराशा का माहौल है, क्योंकि पहले के मुकाबले अब उन्हें एक महत्वपूर्ण भत्ते से वंचित कर दिया गया है।
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कानूनी अड़चन और निर्णय का कारण
सूत्रों के अनुसार, इस फैसले के पीछे कानूनी अड़चनें बताई जा रही हैं। गृह मंत्रालय का मानना है कि केवल ड्यूटी बटालियन में तैनात अधिकारियों और कर्मियों को राशन मनी भत्ता देना उचित है, क्योंकि यही वे लोग हैं जिनकी कार्यस्थल पर वास्तविक जिम्मेदारी होती है। अन्य स्थानों पर तैनात अधिकारियों को यह भत्ता देने से संबंधित कानूनी पहलुओं में कुछ अस्पष्टताएं थीं, जिन्हें अब हल किया गया है।
अधिकारियों के मनोबल पर असर
इस फैसले से सीआरपीएफ के ग्राउंड कमांडर, डिप्टी कमांडेंट, टूआईसी और कमांडेंट जैसे अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ा है। उन्हें लगता है कि इस आदेश से उनके कार्य की सराहना नहीं की जा रही है और यह कदम उनके लिए मानसिक दबाव का कारण बन सकता है। कई अधिकारियों का यह भी मानना है कि यह आदेश उनके प्रेरणा को घटा सकता है, खासकर जब वे पहले से ही मुश्किल परिस्थितियों में ड्यूटी पर हैं।
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कुल मिलाकर, यह बदलाव सीआरपीएफ के अधिकारियों के लिए एक वित्तीय और मानसिक चुनौती बन सकता है, खासकर जब वे पहले से ही ड्यूटी की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। हालांकि, इस फैसले का उद्देश्य सीआरपीएफ के बजट और संसाधनों को अधिकतम तरीके से प्रबंधित करना हो सकता है, लेकिन इसके कारण अधिकारियों में असंतोष की भावना पैदा हो रही है। समय के साथ देखना होगा कि क्या इस आदेश में कोई बदलाव होता है या इसे लागू रखा जाएगा।