The Story Of Pegasus Spyware: ''पेगासस'' कैसे बना दुनिया का जासूसी सॉफ्टवेयर? - India News
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The Story Of Pegasus Spyware: "पेगासस" कैसे बना दुनिया का जासूसी सॉफ्टवेयर?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : February 1, 2022, 1:22 pm IST
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The Story Of Pegasus Spyware:

The Story Of Pegasus Spyware

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
The Story Of Pegasus Spyware: इस समय पेगासस स्पाइवेयर यानि जासूसी सॉफ्टवेयर काफी सुर्खियों में है। अमेरिकी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2017 में भारत सरकार ने इजराइल से इस सॉफ्टवेयर को खरीदा था। कहते हैं कि पेगासस सॉफ्टवेयर फोन के जरिए किसी की भी जासूसी कर सकता है। अब सवाल यह उठता है कि इजराइल का पेगासस स्पाइवेयर एक दशक में पूरी दुनिया में इतना ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर कैसे बन गया। और किसने इस सॉफ्टवेयर को डेवलप किया था। आइए जानते हैं।

किसने डेवलप किया pegasus spyware?

पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे इजराइली फर्म राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ग्रुप ने (nso group) डेवलप किया है। पेगासस, शायद अब तक का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर है। स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जिसे किसी के फोन या कंप्यूटर डिवाइस में एंट्री करने, आपका डेटा एकत्र करने और आपकी सहमति के बिना इसे किसी थर्ड पार्टी को फॉरवर्ड करने के लिए डिजाइन किया जाता है। (cyber weapons)

(pegasus surveillance) बता दें यह सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन (एंड्रॉयड, आईओएस) में घुसपैठ करने और उन्हें सर्विलांस या निगरानी डिवाइसेज में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है। इजराइली कंपनी का दावा है कि पेगासस का उपयोग अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए एक टारगेटेड जासूसी टूल के रूप में होता है न कि लोगों की निगरानी में। हालांकि, महज कुछ ही साल में दुनिया भर की सरकारों ने इसका इस्तेमाल मनचाहे टारगेटेड लोगों की जासूसी में किया है। (pegasus hacking controversy)

The Story Of Pegasus Spyware

किस फार्म में हुई थी पेगासस कंपनी शुरू? ( The Story Of Pegasus Spyware)

न्यूयॉर्क रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसओ कंपनी की शुरुआत 2000 के मध्य में तेल अवीव के पास स्थित बनई सियोन शहर में एक चिकन फार्म चलाने वाली बिल्डिंग से हुई थी। बिल्डिंग के मालिक को लगा कि चिकन से ज्यादा कमाई कोडर्स को बिल्डिंग किराए पर देने से हो सकती है। उसने सस्ते में आॅफिस खोज रहे टेक स्टार्टअप्स को बिल्डिंग किराए पर दे दी। इन्हीं में से एक स्टार्टअप उस एनएसओ कंपनी बनाने वालों का था, जिसने आगे चलकर दुनिया का सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर बनाया।

किस सन् में हुई थी एनएसओ कंपनी की स्थापना?

दुनिया के सबसे कुख्यात जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को इजराइल की साइबर फर्म एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज ने डेवलप किया है। एनएसओ कंपनी की स्थापना इजराइल की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर तेल अवीव में 2010 में हुई थी। एनएसओ की स्थापना तीन लोगों नीव कर्मी, शैलेव हुलियो और ओमरी लवी ने की थी। इन तीनों के नाम के पहले अक्षर को मिलाकर ही एनएसओ कंपनी बनी थी। इसका हेडक्वॉर्टर तेल अवीव के पास के शहर हर्जलिया में है।

क्यों बनाया था एनएसओ ने पेगासस सॉफ्टवेयर? ( The Story Of Pegasus Spyware)

  • एनएसओ के फाउंडर्स शैलेव और ओमरी ने शुरूआत में एक वीडियो मार्केटिंग प्रोडक्ट बनाया था, लेकिन 2008 की आर्थिक मंदी की वजह से वह फ्लॉप हो गया। इसके बाद इन दोनों ने ‘कम्युनिटेक’ नाम की कंपनी बनाई। यह सेलफोन टेक-सपोर्ट वर्कर्स को ग्रहक के परमिशन से उनके डिवाइस को कंट्रोल करने की इजाजत देती था।
  • इस कंपनी की सेवाएं एक यूरोपीय एजेंसी ने ली। इसके बाद शैलेव और ओमरी को लगा कि कस्टमर सर्विस से बढ़कर उनकी कंपनी खुफिया सेवाओं में काम आ सकती है। मिलिट्री ट्रेनिंग ले चुके शैलेव और ओमरी की ये ख्वाहिश तब पूरी हुई, जब 2010 में उनके तीसरे साथी नीव कर्मी उनसे जुड़े। तीनों के साथ आने से बनी कंपनी का नाम था एनएसओ।
  • नीव न केवल मिलिट्री बल्कि मोसाद जैसी खुफिया एजेंसी में भी काम कर चुके थे। उन्होंने अपनी पहचान का फायदा उठाया और इसके बाद कंपनी ने हर्जलिया में अपना हेडक्वॉर्टर बनाया और 700 लोगों को हायर कर लिया। एनएसओ की रिसर्च टीम के लगभग हर सदस्य को खुफिया सेवाओं का अनुभव है। उनमें से ज्यादातर ने इजराइली जासूसी कम्युनिटी की सबसे बड़ी एजेंसी, इजराइली मिलिट्री इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट के साथ काम किया है।

अब तक एनएसओ ग्रुप कितना कमा चुका?

  • पेगासस को बनाने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप की कमाई तेजी से बढ़ी। 2011 में 15 मिलियन डॉलर (112 करोड़ रुपए), 2012 में 30 मिलियन डॉलर (224 करोड़ रुपए), 2013 में इस कंपनी की कमाई 40 मिलियन डॉलर (300 करोड़ रुपए) थी जो महज दो सालों में बढ़कर 150 मिलियन डॉलर (1120 करोड़ रुपए) हो गई।
  • जून 2014 में एनएसओ में अमेरिकी इंवेस्टमेंट फर्म फ्रांसिस्को पार्टनर्स ने 70 पर्सेंट शेयर 130 मिलियन डॉलर में खरीदे थे। फोर्ब्स के मुताबिक, जुलाई 2021 में एनएसओ की मार्केट वैल्यू एक अरब डॉलर यानी करीब 7500 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

कहां से शुरू हुई पेगासस को पहचान मिलनी?

  • एनएसओ ने 2011 में अपने स्पाइवेयर पेगासस को डेवलप कर लिया था। उसके लिए इसे किसी देश को बेच पाना आसान नहीं था। क्योंकि कोई भी देश इजरायली कंपनी से किसी सॉफ्टवेयर को खरीदने को लेकर भरोसा नहीं कर रहा था। वे उसे शक की नजर से देख रहे थे। इसी समय एनएसओ कंपनी के चेयरमैन के रूप में मेजर जनरल एविग्डोर बेन-गैल की एंट्री हुई। वे एक सम्मानित सैन्य अधिकारी थे। उनकी एंट्री ने एनएसओ और इजराइली सरकार को करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • एनएसओ ने तय किया कि अब वे केवल सरकारों को अपना सॉफ्टवेयर बेचेंगे, वह भी इजराइली डिफेंस एक्सपोर्ट कंट्रोल एजेंसी की निगरानी में मिलने वाले लाइसेंस के जरिए ही। यहीं से शुरूआत हुई एनएसओ और इजराइल सरकार के बीच एक ऐसी साझेदारी की, जिसने दुनिया के कई देशों को जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए उन पर निर्भर बना दिया।
  • पेगासस को दुनिया को बेचकर एनएसओ कंपनी को आर्थिक फायदा नजर आया तो इजराइल ने इसे ‘डिप्लोमैसी टूल’ के तौर पर इस्तेमाल किया। एनएसओ के लिए इजराइली सरकार के आने से पेगासस को दूसरे देशों के लिए बेचने की राह खुल गई। पेगासस को पहला बड़ा ब्रेक मैक्सिको के रूप में मिला।

एनएसओ ने अब तक कितने देशों को बेच सॉफ्टवेयर?

  • पेगासस को इजराइल ने मॉडर्न साइबर हथियार के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया और अपनी डिप्लोमेसी में इसका जमकर इस्तेमाल किया। 80-90 के दशक तक इजराइल दुनिया के टॉप-10 हथियार सप्लायर्स में शामिल हो चुका था। उसने न केवल दुनिया को हथियार बेचे बल्कि कुछ साल बाद पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी उसकी डिप्लोमेसी का हिस्सा बन गया।
  • इजराइल और एनएसओ महज कुछ साल में भारत, मैक्सिको, सऊदी अरब, यूएई समेत कम से कम 40 देशों की सरकारों या सरकारी एजेंसियों को ये जासूसी सॉफ्टवेयर बेच डाला। इजराइल ने इसके जरिए न केवल यूएई और सऊदी अरब जैसे अरब देशों के साथ अपने संबंध सुधारे बल्कि दुनिया के कई देशों को फिलीस्तीन से टकराव जैसे मुद्दों पर समर्थन में ला खड़ा किया। इन देशों में भारत भी शामिल था।

क्या भारत ने पेगासस के बदले की थी इजराइल की मदद?

(pegasus india) एनवाईटी रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2017 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल दौरे के दौरान भारत-इजराइल के बीच करीब 15 हजार करोड़ रुपए की डिफेंस डील हुई थी। कहते हैं कि इस डील में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था। पेगासस के बदले में भारत ने जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजराइल के पक्ष में और फिलीस्तीन के खिलाफ वोट दिया था। ये पहली बार था, जब भारत ने इजराइल-फिलीस्तीन विवाद में किसी एक के पक्ष में वोट दिया था। (pegasus, nyt and india)

पेगासस वसूलता है सरकारों से करोड़ रुपए

एनएसओ ग्रुप अपने कस्टमर्स से पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए 10 डिवाइसेज में सेंध लगाने के लिए करीब पांच से नौ करोड़ रुपए चार्ज वसूलता है और साथ ही इसके इंस्टॉलेशन के लिए करीब चार से पांच करोड़ रुपए चार्ज करता है।

The Story Of Pegasus Spyware

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