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Water Crisis: धरती पर जल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देश इसकी चपेट में हैं। अगर भारत की बात करें तो हाल ही में बेंगलुरु में पानी के लिए हाहाकार मच गया था। 3000 से ज्यादा बोरवेल सूख गए। हजारों लोग पानी के लिए तरसने लगे। हालात बिल्कुल ख़राब हो गए थे। लोगों तक पानी पहुंचना बंद हो गया था। टैंकर मालिक ज्यादा पैसे वसूलने लगे। बेंगलुरु में बढ़ते जल संकट के बीच 500 रुपये में बिकने वाले टैंकर की कीमत 2000 रुपये हो गई। विकास की बढ़ती रफ्तार के बीच जल संकट लगातार गहराता जा रहा है।
बता दें कि बेंगलुरु के अलावा भारत में पांच और शहर हैं, जिन्हें भविष्य में ‘बेंगलुरु’ जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यानी इन शहरों में भी पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। इन पांच शहरों में दिल्ली, राजस्थान का जयपुर, पंजाब का बठिंडा, मुंबई और चेन्नई शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जल संकट एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा है। भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी है लेकिन जल संसाधन केवल 4 प्रतिशत है।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत का मुख्य जल भंडार पांच साल में अपने सबसे निचले मार्च स्तर पर है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक 40 फीसदी भारतीयों को पीने का पानी नहीं मिल पाएगा। लगभग 600 मिलियन भारतीय पहले से ही गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट में चिंताजनक भूजल उपलब्धता वाले 21 शहरों का उल्लेख किया गया है। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, गांधीनगर, जयपुर, चेन्नई, हैदराबाद, आगरा, इंदौर, अमृतसर, वेल्लोर, चेन्नई, लुधियाना शामिल हैं।
जल संरक्षणवादी दीवान सिंह ने उन पांच शहरों की सूची बनाई है, जो जल्द ही बेंगलुरु की तरह जल संकट का सामना कर सकते हैं। इन पांच शहरों में दिल्ली, राजस्थान का जयपुर, पंजाब का बठिंडा, मुंबई और चेन्नई शामिल हैं।
जल की कमी एक मानव निर्मित आपदा है, इसलिए संसाधन के कुप्रबंधन को ठीक करना महत्वपूर्ण है। दीवान सिंह ने कहा कि हम टिक-टिक बम पर बैठे हैं। जहाँ उपभोग है, वहाँ उपभोग उससे भी अधिक है। उदाहरण के लिए, दिल्ली पड़ोसी राज्यों से पानी ले रही है, जहां पहले से ही पानी की कमी है। सिंह ने आगे कहा कि 1977 से दिल्ली जल बोर्ड लगातार निर्माण की इजाजत देता रहा है, जबकि शहर में ज्यादा पानी नहीं है। आपको बता दें कि बेंगलुरु में 14 हजार से ज्यादा बोरवेल हैं, जिनमें से 6900 सूख चुके हैं। कई पर अतिक्रमण हो चुका है और कई बिना बारिश के ही सूख गये हैं। बेंगलुरु को 2,600 एमएलडी पानी की जरूरत है, जिसमें से 1470 एमएलडी कावेरी नदी से और 650 एमएलडी बोरवेल से आता है।
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