संबंधित खबरें
‘कुछ लोग खुश है तो…’, महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारें के बाद अजित पवार ने कह दी ये बड़ी बात, आखिर किस नेता पर है इनका इशारा?
कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं उमर अब्दुल्ला? पिछले कुछ समय से मिल रहे संकेत, पूरा मामला जान अपना सिर नोंचने लगेंगे राहुल गांधी
खतरा! अगर आपको भी आया है E-Pan Card डाउनलोड करने वाला ईमेल? तो गलती से ना करें क्लिक वरना…
मिल गया जयपुर गैस टैंकर हादसे का हैवान? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पुलिस रह गई हैरान
भारत बनाने जा रहा ऐसा हथियार, धूल फांकता नजर आएगा चीन-पाकिस्तान, PM Modi के इस मास्टर स्ट्रोक से थर-थर कांपने लगे Yunus
‘जर्सी नंबर 99 की कमी खलेगी…’, अश्विन के सन्यास से चौंक गए PM Modi, कह दी ये बड़ी बात, क्रिकेट प्रशसंक भी रह गए हैरान
India News(इंडिया न्यूज),CAA: देश में सोमवार के बाद लगातार रूप नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सियासत में गर्माहट है। जिसके बाद देश की राजनीतिक पार्टियां लगातार रूप से इस पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे है। इसी मामले में अब हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होने कहा है कि, धार्मिक आधार पर कानून नहीं बनाया जा सकता। यह केवल राजनीतिक दलों तक ही सीमित मामला नहीं है। यह देश का मामला है। क्या आप 17 करोड़ मुसलमानों को राज्यविहीन बनाना चाहते हैं। यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
ये भी पढ़े:-“भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं”- सरकार ने CAA के डर और भ्रम को किया दूर
इसके साथ ही आगे ओवैसी ने कहा कि, लोगों को सीएए को अलग से नहीं देखना चाहिए। यह केंद्र सरकार द्वारा एनआरसी और एनपीआर को लागू करने की एक पहल है। यह सभी चीजें लागू होने से मुसलमानों, दलित, जनजातियों और गरीब लोगों को नुकसान होगा। हैदराबाद की जनता सीएए के खिलाफ मतदान करेंगे। मैं ध्रुवीकरण नहीं कर रहा हूं। केंद्र सरकार धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, असम में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी लागू किया गया। असम में प्रशासन ने 19 लाख लोगों को संदिग्ध घोषित कर दिया। इनमें 10 से 12 लाख हिंदू हैं। अब सीएए के कार्यान्वयन से उन्हें नागरिकता मिलेगी लेकिन मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिलेगी। यह अन्याय है।
ये भी पढ़े:-“भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं”- सरकार ने CAA के डर और भ्रम को किया दूर
देश में CAA को लेकर लगातार कई सारे अफवाहे फैली हुई है। चलिए आपको बतातें है कि नागरिकता संशोधन विधेयक क्या है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता के लिए पात्र बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है। नागरिकता अधिनियम में देशीयकरण द्वारा नागरिकता का प्रावधान किया गया है। आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से आखिरी साल 11 महीने भारत में रहना चाहिए। कानून में छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) और तीन देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से संबंधित व्यक्तियों के लिए 11 वर्ष की जगह छह वर्ष तक का समय है।
ये भी पढ़े:-“भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं”- सरकार ने CAA के डर और भ्रम को किया दूर
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.