India News (इंडिया न्यूज), Three criminal laws: सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक प्रवीण सिन्हा बिते सोमवार को लोकसभा में आपराधिक कानूनों में सुधार को लेकर पेश किए गए तीन विधेयक को संसदीय पैनल के सामने विस्तृत रिपोर्ट की पेशकश की है। बता दें, सिन्हा की प्रस्तुति करीब 90 मिनटों तक जारी रही। वहीं पैनल की अध्यक्षता भाजपा सदस्य बृजलाल ने की है।   प्रवीण सिन्हा के अलावा, कानूनी मामलों के विभाग में पदस्थ संयुक्त सचिव पद्मिनी सिंह साथ ही पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो की अतिरिक्त महानिदेशक अनुपमा नीलेकर चंद्रा भी इन विधेयकों को लेकर संसदीय समिति के सामने अपनी प्रस्तुति दी।

केन्द्र सरकार ने पेश किया था विधेयक

बता दें कि, केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के अंत में भारतीय दंड विधान को बदलने के साथ उनमें परिवर्तन लाने वाले विधेयकों को पेश किया था। सरकार ने भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली की रीढ़ कहे जाने वाले तीनों संहिताओं भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) में बदलाव का अपना मसौदा रखा था। तो चलिए जानते हैं यह कितना सकारात्मक हो सकता है।

शून्य एफआईआर-

नया कानून किसी भी पुलिस स्टेशन में  एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति रहेगी। चाहे यह अपराध कहीं भी हुआ हो। हालाँकि, यह एफआईआर उसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में दर्ज होनी जरुरी है। वहीं प्रस्तावित कानून नागरिकों को ई-एफआईआर दर्ज करने की भी स्वतंत्रता देता है, वहीं शिकायतकर्ता को ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने के तीन दिनों के अंदर उस पर हस्ताक्षर करना जरुरी है।

गिरफ्तारी की सुरक्षा-

यह नया कानून छोटे-मोटे अपराधों के आरोपियों, या फिर जो विकलांग हैं या फिर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए गिरफ्तारी को एक नई सुरक्षा को प्रदान करता है। वहीं जिन अपराधों में तीन साल से कम की सज़ा हो सकती है। उनमें डिप्टी एसपी रैंक से नीचे के अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती है।

 

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