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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
Time To Revive Worship Of Feminine Across World : ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु, दुर्गा पूजा को यूनेस्को की अप्रत्यक्ष सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने की सराहना करने में देश के साथ आए। सद्गुरु ने इस उपलब्धि के महत्व को समझाया।
Bharat is the only Culture that continues to celebrate & worship the Feminine. Time to revive this practice all across the world to enable Human Beings to explore Higher Dimensions of Life. Gratitude to #UNESCO for elevating #DurgaPuja to a Global celebration of the Feminine. -Sg https://t.co/s1RyoPE2le pic.twitter.com/lRJ9VdnbIo
— Sadhguru (@SadhguruJV) December 16, 2021
भारत ही एकमात्र संस्कृति है जो स्त्रैण पूजा का उत्सव मनाना जारी रखे हुए है। इस प्रथा को पूरी दुनिया में पुन: प्रचलित करने का यही समय है, ताकि मनुष्य जीवन के उन्नत आयामों की खोज करने में सक्षम बने। दुर्गा पूजा को स्त्रैण के एक वैश्विक उत्सव के रूप में पहचान देने पर यूनेस्को का आभार, ट्विटर पर उन्होंने लिखा।
यूनेस्को को इस मान्यता के लिए आभार व्यक्त करते हुए, सद्गुरु ने कहा, स्त्रैण का उत्सव और उसकी पूजा भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा रहा है। यह ऐसी चीज है जिसे पूरी दुनिया में एक बार फिर बढ़ना चाहिए, जैसे यह हजारों साल पहले था कि स्त्रैण की पूजा दुनिया भर में होती थी।
हालांकि, पिछले 1000 सालों में पुरुष प्रभुत्व के कारण यह बदल गया है। यही समय है कि एक बार फिर स्त्रैण की पूजा और उत्सव को बढ़ावा मिले। बंगाल में दुर्गा पूजा के उत्सवों को बधाई और इस पहचान को प्रदान करने के लिए यूनेस्को का आभार।
देश में ऐसे कई जबरदस्त कार्यक्रम हैं जिन्हें इस तरह की पहचान मिलने की जरूरत है। यह एक समृद्ध और जीवंत संस्कृति है जो ऐसे आयोजनों से भरी पड़ी है और इन्हें वैश्विक आदर और पहचान पाने की जरूरत है क्योंकि ये मनुष्य को संकीर्ण हठधर्मिता और दर्शन से ऊपर उठने देते हैं।
सद्गुरु ने अतीत में भी कई बार स्त्रैण के सम्मान पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि चैतन्य के स्त्रैण पहलू, देवी, के बारे में जागरूकता लाना आज की दुनिया में बहुत महत्व का है, जब हम संकट के विभिन्न स्तरों से गुजर रहे हैं, खासकर पर्यावरण जैसे पहलू।
ऐसे मौके पर, जहां हमारी क्षमताएं, विज्ञान, टेक्नॉलजी, और उद्यम हमारे जीवन के आधार को ही नष्ट कर रहे हैं, चैतन्य का स्त्रैण पहलू बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
चैतन्य के स्त्रैण पहलू के बारे में जागरूकता लाने की जरूरत को समझाते हुए, उन्होंने पहले कहा था, अगर स्त्रैण का प्रभुत्व होता, तो आबादी यकीनन भरपेट खाती। तब करुणा, प्रेम, और सौंदर्यबोध महत्वपूर्ण होते, न कि जीत हासिल करना।
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