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भारत के मिसाइलमैन का आज है जयंती, जाने कलाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें

PUBLISHED BY: Priyanshi Singh • LAST UPDATED : October 15, 2022, 3:07 pm IST
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भारत के मिसाइलमैन का आज है जयंती, जाने कलाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें

kalam

हर साल 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर उन्हें याद करने के लिए मनाया जाता है. इंडिया के मिसाइलमैन डॉ एपीजे अदबुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षक थे. एक टीचर के नाते वे हमेशा स्टूडेंट्स से जुड़े रहे, उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे. इस बंधन को मनाने के लिए हम हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे मनाते हैं. इसकी शुरुआत 2010 से हुई थी जब संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) ने शिक्षा और छात्रों के प्रति उनके लगाव व प्रयासों को देखते हुए वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे घोषित किया था. आज उनके जयंती पर हम आपको उन्ही के संघर्षों की कहनी सुनाने जा रहे हैं।

अखबार बेचने का किया था काम

डॉ अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का तमिलनाडु के रामेश्वरम (तत्कालीन में एक मुस्लिम परिवार में जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. उनके पिता नाव से हिंदुओं की तीर्थ यात्रा कराते थे. लेकिन जल्दी ही उन्हें यह व्यवसाय खोना पड़ा जिससे परिवार आर्थिक संकट में आ गया. डॉ कलाम का बचपन बहुत संघर्ष में बीता और उन्हें परिवार की मदद करने के लिए अखबार बेचने का काम भी किया.

अब्दुल कलाम का करियर

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम करियर: स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम जी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। इन्होनें प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। 1969 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इसरो (ISRO) आ गये और वहां पर इन्होनें परियोजना निर्देशक के पद पर काम किया। इसी पद पर काम करते समय भारत का प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात थी क्योंकि उनको ऐसा लगा कि जिस उद्देश्य के लिए वह जी रहे है उनका वह उद्देश्य पूरा होने लगा है।

NASA का किया दौरा

वर्ष 1963-64 में अब्दुल कलाम ने अमेरिकी संगठन नासा (NASA) में भी दौरा किया। भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने पहला परमाणु परीक्षण किया जिसमें कलाम जी को परीक्षण करने के लिए बुलाया गया। 1970-1980 के दशक में डॉ अब्दुल कलाम अपने कार्याे की सफलता के कारण देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन गये और ख्याति बढ़ने के कारण उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी ने अपने केबिनेट की मंजूरी के बिना ही कुछ गुप्त कार्यों के लिए अनुमति दी थी।

साल 2002 में राष्ट्रपति बने थे अब्दुल कलाम

साल 2002 में राष्ट्रपति बने थे अब्दुल कलाम भारत सरकार ने 1981 में कलाम साहब को पद्म भूषण और फिर 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था. भारत रत्न पाने वाले वे देश के तीसरे राष्ट्रपति हैं और उनसे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को भरात रत्न दिया गया. एपीजे अब्दुल कलाम को 1992 में 1999 में रक्षा सलाहाकार नियुक्त किया गया. इसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1996 में पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया. अब्दुल कलाम को 2002 में भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया था.

मिसाइलमैन

कलाम साहब ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में एक साइंटिस्ट और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम किया था. कलाम ने भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत के सिविलियन स्पेस और मिलिट्री मिसाइल प्रोग्राम को विकसित करने में भी अमूल्य योगदान दिया. देश में बैलिस्टिक मिसाइल और टेक्नोलॉजी को इंडीपेंडेंट बनाने के बाद अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन कहा गया.

डॉ कलाम की मृत्यु

बता दें 27 जुलाई 2015 को डॉ कलाम 84 साल के उम्र में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलांग में रहने योग्य ग्रह पर अपना विचार व्यक्त कर रहे थे जब उन्हें कार्डियक अटैक हुआ और वो वहीं बेहोश हो गए। लगभग शाम को 06:30 बजे उन्हें बेथानी अस्पताल में ICU में ले जाया गया जहां दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु हो गयी।

ये भी पढ़ें – आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर की कश्मीरी पंडित की हत्या

 

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