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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet: यूक्रेन और रूस की शुरू हुई जंग को आज 29वां दिन है। वहीं रूस कई बार एटमी हमले की धमकी भी दे चुका है। बताया जाता है कि रूस के पास एक किलोटन से लेकर 100 किलोटन क्षमता के लगभग 2,000 छोटे न्यूक्लियर बम हैं, जिन्हें टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कहा जाता है। अब सवाल ये उठ रहा है कि यदि युद्ध के हालात रूस के हाथों से बाहर निकलते नजर आए तो क्या पुतिन अपनी परमाणु शक्ति का इस्तेमाल करेंगे। तो चलिए जानते हैं इस मामले में एक्सपर्ट्सों का क्या कहना है। (Tactical Nuclear Weapon)
द न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना पारंपरिक युद्ध से परमाणु युद्ध के ट्रांजिशन का अभ्यास कर चुकी है। (russia nuclear power) खासकर युद्ध के मैदान में भारी नुकसान के बाद रूस की सेना ऐसा कर सकती है। वहीं कागेर्नी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशल पीस और यूनिवर्सिटी आफ हैमबर्ग अनुसार, ऐसी संभावना कम है लेकिन बढ़ रही है। युद्ध रूस के हिसाब से ठीक नहीं चल रहा है।
पश्चिमी देशों का दबाव भी बढ़ रहा है। हो सकता है पुतिन सैनिकों के बजाय किसी बंजर इलाके पर ऐसा बम गिरा दें। इस बारे में बात करना ही भयावह है, लेकिन ऐसी आशंका बढ़ रही है। वहीं अमेरिका एक्सपर्ट का कहना है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके रूस केवल अपना नुकसान करेगा। इससे यूक्रेन में बाहरी देशों का दखल बढ़ सकता है। पुतिन के हाथ से मामला भी निकल जाएगा।
हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि इस युद्ध में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन क्या फर्क पैदा कर सकते हैं। बता दें कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को बड़े सैन्य फॉर्मेशन (जैसे टैंक, आर्टिलरी, एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप) के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इसके अलावा इन्हें अंडरग्राउंड बंकरों, किलेबंद सैन्य ठिकानों, या कमांड एंड कंट्रोल ठिकानों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए विकसित किया जाता है। ( russia nuclear weapons)
वहीं अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी को लगता है कि अगले कुछ दिनों में रूस कुछ एटॉमिक कदम उठा सकता है। क्योंकि रूस पश्चिमी देशों को संकेत देने और अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए अपने परमाणु हथियारों पर अधिक निर्भर हो सकता है। आपको बता दें कि यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के बाद पुतिन एक से अधिक बार अपने परमाणु हथियारों का जिक्र कर चुके हैं। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक रूस को ये भी लगता है कि परमाणु हथियारों को लेकर तनाव बनाए रखने से नाटो को पीछे हटने का संकेत दिया जा सकता है।
वहीं रक्षा विश्लेषक का मानना है कि रूस टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करेगा, इसके बहुत कारण नजर नहीं आते हैं। विश्लेषक कहते हैं कि अभी तक रूस के टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की थ्यौरी पर शक है। कुछ विश्लेषक का मानना है कि ऐसा नहीं लगता कि पुतिन यूक्रेन के खिलाफ टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की भीषण गलती करेंगे। उन्हें ना सिर्फ नाटो और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भारी प्रतिक्रिया का सामना करना होगा बल्कि रूस के अंदर भी नागरिकों का गुस्सा झेलना होगा, जिनके बहुत से रिश्तेदार यूक्रेन में रहते हैं।
रूस और यूक्रन युद्ध के शुरू हुए आज लगभग एक माह हो रहे हैं। इस दौरान एक करोड़ से अधिक यूक्रेनी बेघर हुए हैं। तीस लाख से अधिक ने देश छोड़ दिया है। कई हजार लोग मारे गए हैं। यूक्रेन के कई शहर मलबे का ढेर बन गए हैं। राजधानी कीव, बंदरगाह शहर मारियुपोल और खार्कीव जैसे रूसी सीमा के पास स्थित शहर दिन रात बमबारी का सामना कर रहे हैं। लेकिन युद्ध का कोई नतीजा नहीं निकल सका है। ना यूक्रेन पीछे हट रहा है और ना ही रूस।
वहीं पश्चिमी सैन्य विश्लेषक मानते हैं कि पिछले कुछ दिनों में रूस की सेनाएं आगे बढ़ने में नाकाम रही हैं। रूस ने उम्मीद की होगी कि यूक्रेनी हथियार डाल देंगे, लेकिन भारी तबाही के बावजूद उनका हौसला बरकरार है। यही नहीं, अगर यूक्रेन के दावों को सच माना जाए तो इस युद्ध में रूसी सेना को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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डिफेंस एक्सपर्ट्स मुताबिक 100 किलोटन का परमाणु बम 1.8 किलोमीटर के दायरे में सब-कुछ तबाह कर देता है। जबकि तीन किलोमीटर के दायरे में भारी तबाही होती है। पांच किलोमीटर के दायरे तक भारी नुकसान होता है और बम गिरने से आठ किलोमीटर दूर तक नुकसान होता है। बम का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि वो कहां और किन परिस्थितियों में गिरा है। यदि भारी आबादी वाले इलाके पर बम गिरता है तो हिरोशिमा से कम क्षमता वाला बम भी उससे कई गुना भारी तबाही मचा सकता है।
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