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Unique Dress Code: CSIR का अनोखा फरमान, बिना प्रेस किए कपड़े पहनें कर्मचारी, जानिए क्यों लिया गया ये फैसला-Indianews

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : May 8, 2024, 6:38 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Unique Dress Code: ऐसे कपड़े पहनकर आएं जो प्रेस किए हुए या झुर्रीदार न हों। झुर्रियाँ अच्छी लगती हैं, सप्ताह में केवल एक बार सोमवार को झुर्रियां वाले कपड़े पहनकर आएं। यह फरमान देश के सरकारी विभाग काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने अपने कर्मचारियों को जारी किया है। बता दें कि, विभाग के अधिकारियों ने इस आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि कर्मचारियों को सोमवार को बिना इस्त्री किये हुए कपड़े पहनने को कहा गया है। साथ ही यह भी बताया गया कि विभाग का आदेश एक अभियान का हिस्सा है, जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित है।

क्य है इस अभियान का उद्देश्य?

बता दें कि, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने 1 मई से ‘झुर्रियां अच्छी हैं…’ अभियान शुरू किया है। यह अभियान स्वच्छता पखवाड़ा के तहत शुरू किया गया है, जो 15 मई तक चलेगा। विभाग ने बिजली की खपत कम करने के लिए एक पहल की है। देश। इसके लिए देशभर की सभी 37 लैब्स में एक खास स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। इसका उद्देश्य बिजली की खपत को 10 प्रतिशत तक कम करना है। एक जोड़ी कपड़ों को प्रेस करने से 100 से 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। एक लोहे को गर्म करने में 800 से 1200 वॉट बिजली लगती है, जो एक बल्ब से निकलने वाली रोशनी से 20 से 30 गुना ज्यादा है। भारत में 74 प्रतिशत बिजली उत्पादन कोयले से होता है। यदि एक परिवार में 5 लोग हैं तो 5 जोड़ी कपड़े प्रेस करने में 1 किलो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगी। इसे बचाने के लिए अभियान शुरू किया गया है।

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आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर ने भी शुरू की मुहिम

केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान भी इस अभियान का हिस्सा है। दोनों संस्थानों के कर्मचारी, छात्र और अधिकारी सोमवार को बिना प्रेस किये हुए कपड़े पहनकर आएंगे और अपने परिवार के सदस्यों को ऐसे कपड़े पहनने के लिए प्रेरित करेंगे। आईआईटी बॉम्बे के ऊर्जा विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने अपने एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के तहत इस अभियान की शुरुआत की थी।

वहीं, इसी अभियान को अपनाते हुए सीएसआईआर-सीएलआरआई ने भी जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल की है। आपको बता दें कि सीएसआईआर देश का अग्रणी अनुसंधान और विकास संस्थान है, जिसकी देशभर में 37 प्रयोगशालाएं हैं। 4 हजार से अधिक तकनीशियन और 3500 वैज्ञानिक इसके सदस्य हैं। देशवासियों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करने और इसे रोकने के लिए आवश्यक प्रयास करने के लिए लगातार प्रयासरत है।

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