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India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Religious Conversion: भारत से साल 1947 में अलग होने के बाद से ही पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती होने लगी। इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञों ने गुरुवार (11 अप्रैल) को कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और बच्चों के जबरन धर्म परिवर्तन-विवाह, यौन हिंसा और तस्करी को लेकर संवेदनशील हैं। विशेषज्ञों ने बयान में आगे पाकिस्तानी अधिकारियों से हिंदू और ईसाई समुदायों सहित महिलाओं के साथ बिना भेदभाव के व्यवहार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं-लड़कियों के साथ बिना किसी भेदभाव के व्यवहार किया जाना चाहिए। जिनमें ईसाई और हिंदू समुदायों या अन्य धर्मों से जुड़ी महिलाएं भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने एक बयान में कहा कि ईसाई और हिंदू धर्म की लड़कियां विशेष रूप से जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, जल्दी और जबरन शादी, घरेलू दासता और यौन हिंसा के प्रति संवेदनशील रहती हैं। बयान में आगे कहा गया कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित युवा महिलाओं और लड़कियों को इस तरह के जघन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन और ऐसे अपराधों की छूट को अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। साथ ही इसे उचित भी नहीं ठहराया जा सकता है। विशेषज्ञों ने आगे कहा कि अपराधी अक्सर जवाबदेही से बच जाते हैं। दरअसल, पुलिस प्रेम विवाह की आड़ में अपराधों को खारिज कर देती है। वहीं, महिला के चयन के अधिकार के महत्व पर जोर देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि बाल, कम उम्र और जबरन विवाह को धार्मिक या सांस्कृतिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने बयान में कहा कि एक महिला का जीवनसाथी चुनने और स्वतंत्र रूप से विवाह में प्रवेश करने का अधिकार एक इंसान के रूप में उसके जीवन, गरिमा और समानता के लिए केंद्रीय है और इसे कानून द्वारा संरक्षित और बरकरार रखा जाना चाहिए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, जब पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र का बच्चा हो तो सहमति महत्वहीन है। विशेषज्ञों ने जबरदस्ती के तहत किए गए विवाह को खत्म करने पर जोर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से आग्रह किया कि सभी महिलाओं के साथ बिना भेदभाव के व्यवहार किया जाए। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने अधिकारियों से लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 18 साल करने का आग्रह किया।
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