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Unnao Accident: एक्सपर्ट की इन बातों पर होता सरकार का ध्यान तो नहीं होता उन्नाव जैसे हादसे, एक झटके छीन गई 18 की जिन्दगी

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : July 10, 2024, 12:39 pm IST
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Unnao Accident: एक्सपर्ट की इन बातों पर होता सरकार का ध्यान तो नहीं होता उन्नाव जैसे हादसे, एक झटके छीन गई 18 की जिन्दगी

Unnao Accident

India News (इंडिया न्यूज),Unnao Accident: उन्नाव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर बिहार के सीतामढ़ी से दिल्ली जा रही एक स्लीपर बस एक दूध के कंटेनर से टकरा गई जिसमे कई लोग घायल हो गए। यह घटना आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर बेहतामुजावर थाना क्षेत्र में सुबह करीब 05:15 बजे यह घटना का मामला सामने आया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई और करीब 30 लोग घायल होने की जानकारी सामने आई है। देश में इस तरह के हादसे लगातार सामने आ रहे हैं। बस इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने इन्हें रोकने के लिए सरकार को सुझाव भी दिए हैं। जिसके बाद अब इस पर अमल का इंतजार है। क्या आप जानते हैं दिए गए इस सूझाव के बारे में अगर नहीं पता तो चलिए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी…

बस बॉडी सेफ्टी का कोड लागू हो

बता दें कि, सेव लाइफ फाउंडेशन के CEO पीयूष तिवारी का कहना है कि मेरी टीम मौके पर जाकर जांच करेगी कि एक्सप्रेसवे पर रियर एंड एक्सीडेंट में किसकी गलती है। हादसा ड्राइवर को झपकी आने से हुआ या आगे चल रहे टैंकर ने अचानक ब्रेक लगा दिए। यह जांच के बाद ही पता चलेगा। ऐसे हादसों को रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए सबसे जरूरी है कि बस बॉडी सेफ्टी का कोड लागू किया जाए। अभी देश में कार सेफ्टी की खूब चर्चा हो रही है, लेकिन बसों की सेफ्टी पर कोई चर्चा नहीं हो रही, जबकि इनमें आम लोग ही सफर करते हैं।

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बस बॉडी सेफ्टी से दुर्घटनाओं में होगी कमी

आगे वह कहते हैं कि, लाइफ फाउंडेशन की ओर से बस बॉडी सेफ्टी कोड सरकार को दिया गया है। सरकार को इसे लागू करना है। इसके लागू होने के बाद बस बॉडी के मानक तय हो जाएंगे। बसों की बॉडी एक जैसी होगी। अभी चेसिस कंपनी से निकलती है और उसकी बॉडी अलग से बनती है। इस वजह से कई बार बॉडी हल्की बना दी जाती है जो दुर्घटना झेल नहीं पाती और पूरी बस के परखच्चे उड़ जाते हैं। बता दें, उनके सुझाव में यह भी शामिल है कि बस की चेसिस की जगह पूरी बस ही बॉडी सहित कंपनी से निकले। इसके अलावा बसों में क्रैश अवॉइडेंस सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाया जाए, जिससे दुर्घटनाएं और दुर्घटनाओं में होने वाले जान-माल के नुकसान को रोका जा सके। यह ज्यादा महंगा भी नहीं है।

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