India News (इंडिया न्यूज़), Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर अमेरिका स्थित एक थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर धर्म के आधार पर हिंसा नहीं हुई है। अपनी रिपोर्ट में थिंक टैंक ने कहा कि उग्रवाद, जनजातियों में आपस में अविश्वास, ड्रग्स और आर्थिक प्रभावों का डर जैसी इतिहास में घटी घटनाएं हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं।

जनजातियों में दुश्मनी का क्या है कारण?

बता दें कि भारत पर केंद्रित थिंक टैंक फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS)ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मणिपुर की हिंसा में विदेशी हस्तक्षेप से भी इंकार नहीं किया जा सकता।खबरों में कहा गया है कि मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार, दोनों ने राज्य में शांति और राहत के कार्यों के लिए सारे संसाधन तैनात कर रखे है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि खबर में कहा गया है कि मणिपुर की जनजातियों में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण मौजूद है लेकिन धार्मिक आधार पर हिंसा के सबूत नहीं मिल पाए है। FIIDS ने भी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मणिपुर हिंसा जनजातीय बंटवारे और ऐतिहासिक अविश्वास और जनजातियों के बीच की दुश्मनी के कारण ही हुई है।

विदेशी हस्तक्षेप से भी नहीं किया जा सकता इंकार

एक रिपोर्ट के मुताबिक कहा गया है कि कई उग्रवादी और कट्टरपंथी संगठनों को इस हिंसा से फिर से सक्रिय होने का मौका मिल चुका है। इसमें अफीम और हेरोइन उगाने वाले ड्रग माफियाओं ने हिंसा की फंडिंग की और विदेशी हस्तक्षेप से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही थिंक टैंक ने गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये जानकारी दी थी। जिसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के हफ्तों में हिंसा और धरने प्रदर्शनों में कमी आई है लेकिन अभी भी लोगों के बीच अविश्वास मौजूद है। ऐसे में विस्थापित लोग अभी भी अपने घर लौटने में सहज नहीं हो पा रहे हैं।

शांति के लिए बातचीत के साथ विश्वास की जरूरत

इतना ही नहीं FIIDS के अनुसार, शांति बहाली के लिए बातचीत के साथ समुदायों के बीच विश्वास बहाली और राहत और पुनर्वास जैसे कामों को किए जाने की बहुत जरूरत है। ऐसे में FIIDS का कहना है कि इस रिपोर्ट को अमेरिका के पॉलिसी मेकर्स और अन्य थिंक टैंक्स के साथ साझा की जाने वाला है।

मणिपुर में मई से भड़क रही हिंसा

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय को जनजातीय आरक्षण देने की मांग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। तीन मई को हिंसा भड़क उठी, जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मणिपुर हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें और वीडियो प्रसारित कर वायरल की गई है, जिससे भी हिंसा इस हद तक भड़की।

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