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Ram Mandir: 'राम का विरोध मतलब देश का विरोध', बायकॉट करने वाले दलों पर बरसा विश्व हिंदू परिषद

Rajesh kumar • LAST UPDATED : January 12, 2024, 2:19 pm IST
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Ram Mandir: 'राम का विरोध मतलब देश का विरोध', बायकॉट करने वाले दलों पर बरसा विश्व हिंदू परिषद

India News (इंडिया न्यूज),Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। लेकिन इस बीच मंदिर को लेकर राजनीति भी चरम पर है। कई राजनीतिक दलों ने राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार करने की बात कही है। इस बीच विश्व हिंदू परिषद ने कार्यक्रम का बहिष्कार करने वालों पर तीखा हमला बोला है।

‘प्राण-प्रतिष्ठा से होगी एक नए युग की शुरुआत’

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अब सिर्फ 10 दिन बचे हैं, इस कार्यक्रम से पूरी दुनिया खुश है और हो भी क्यों नहीं, 492 साल का संघर्ष खत्म हो रहा है। लाखों रामभक्तों का बलिदान सार्थक हो रहा है। पूरी दुनिया को लग रहा है कि रामलाल की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से एक नए युग की शुरुआत होगी और उस युग की दिशा राम से प्रेरित होगी और राम की दिशा राम से प्रेरित होगी। यही तत्व विश्व के लिए उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा। पूरे भारत का हर कोना खुश है, इन पलों का इंतजार कर रहा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो असंतुष्ट हैं, खुशी के इन पलों में रुकावट बनना चाहते हैं।

‘राम का विरोध मतलब देश का विरोध’

जैन ने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इन लोगों के बीच अग्रणी भूमिका निभा रही है। अब तक राम जन्मभूमि के संबंध में, सनातन के संबंध में, हिंदू धर्म के संबंध में और राम के संबंध में कांग्रेस की क्या भूमिका रही है? हाँ, आप क्या सोच रहे हैं? पूरी दुनिया जानती है कि 1949 से लेकर अब तक हर संभव कोशिश की जा रही थी कि राम मंदिर न बन सके। कोई कसर नहीं छोड़ी और संसद से लेकर कोर्ट तक हर जगह राम मंदिर का विरोध किया। ये लोग नहीं जानते कि राम मंदिर का विरोध करने का मतलब देश का विरोध करना है।

कई पार्टियों ने कार्यक्रम का किया बहिष्कार

राम मंदिर कार्यक्रम को लेकर जिस तरह का माहौल है, उसे देखते हुए इस मुद्दे का राजनीतिकरण होना स्वाभाविक लगता है। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम का कई पार्टियों ने बहिष्कार किया है जिसमें ममता बनर्जी की टीएमसी, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां शामिल हैं। चारों शंकराचार्यों ने यह भी कहा है कि वे 22 जनवरी को होने वाले समारोह में नहीं आएंगे, जिससे इस मुद्दे को और हवा मिल गई है।

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