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इंडिया न्यूज, Punjab News। Sadhu Singh Dharamsot arrested : जहां पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद अपने ही स्वास्थ्य मंत्री को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाते हुए सलाखों के पीछे भेज दिया गया था। वहीं अब भ्रष्टाचार के आरोपों में कांग्रेस (Congress) सरकार में पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत (Sadhu Singh Dharamsot) को विजिलेंस (Punjab Vigilance) ने गिरफ्तार किया है। पूर्व मंत्री के साथ विजिलेंस ने मीडिया सलाहकार कमलप्रीत सिंह (Kamalpreet Singh) और ओएसडी चमौकर सिंह (OSD Chamokar Singh) को भी गिरफ्तार किया है।
पूर्व मंत्री खैर के पेडों (trees of khair) की कटाई के लिए परमिट जारी करने, अधिकारियों के तबादले, खरीदारी और एनओसी जारी करने बारे संगठित भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है। विजिलेंस ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया है।
गुरमनप्रीत सिंह (Gurmanpreet Singh) जिला वन अफसर मोहाली और हरमोहेंदर सिंह (Harmohender Singh) उर्फ हमी प्राइवेट ठेकेदार ने कोलोनाईजर दविंदर सिंह संधू से न्यू चंडीगढ़ मोहाली के आसपास अपनी कंपनी डब्लयूडब्लयू आईसीएस की तरफ से विकसित किए फार्म हाउसों को नहीं तोड़ने के बदले रिश्वत मांगने और लेने के आरोपों के तहत दर्ज किया गया था।
दोनों आरोपियों को 2 जून को गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया है कि राजनैतिक नेताओं और उनके साथियों और राज्य के वन विभाग के अधिकारियों के बीच 2017 से आपसी सांठगांठ थी।
जांच के दौरान मुलजिम हरमोहेंदर सिंह (Harmohender Singh) उर्फ हमी ने इंडियन ऐवीडेंस एक्ट की धारा 27 के तहत दर्ज करवाए अपने बयानों में बताया कि साल 2017 से समय-समय पर वह वन विभाग के सीनियर अधिकारियों, राजनैतिक नेताओं और उनके सहायकों को दी रिश्वत का लेखा-जोखा रखने के लिए एक डायरी रखता था।
यह डायरी उसके स्थान से बरामद की गई थी। डायरी की सामग्री की आलोचना और जांच से आरोपियों के ढंग-तरीकों का खुलासा हुआ है जिस कारण उनको गिरफ्तार किया गया।
पेडों की कटाई के लिए मंत्री 500 रुपये प्रति पेड़ रिश्वत लेने का आरोप
हरमोहेंदर सिंह उर्फ हमी अपनी फर्म गुरूहर एसोसिएट्स के नाम पर वन विभाग से कटाई के लिए परमिट लेकर करके राज्य में खैर के पेडों को काटने और बेचने का कारोबार करता था।
उसने अक्तूबर-मार्च सीजन के लिए लगभग 7 हजार पेड़ काटने के लिए परमिट लिए थे, जिसके लिए उसे एक हजार रुपये प्रति पेड़ रिश्वत देनी पड़ी जिसमें से पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को 500 रुपये प्रति पेड़, डिविजनल वन अफसर को 200 और रेंज अफसर, ब्लाक अफसर और वन गार्ड को 100-100 रुपए प्रति पेड़ रिश्वत दी। इस तरह ठेकेदार ने सीजन के दौरान 7 लाख रुपए की रिश्वत दी थी।
इसके अलावा मोहाली में 15 और ठेकेदार थे, जिनको भी इस ठेकेदार की तरह ही रिश्वत देनी पड़ी, नहीं तो उनको परमिट देने से इंकार कर दिया गया या भारी जुमार्ने की धमकी देकर परेशान किया जाता रहा। साधु सिंह धर्मसोत को अदायगी खन्ना के निवासी कमलजीत सिंह द्वारा की गई थी, जोकि पंजाब पुलिस से सुरक्षा प्राप्त शख्स है।
अमित चौहान के रोपड़ में बतौर डीएफओ के कार्यकाल के दौरान उसने बड्यिली कलां, सब डिविजन श्री आनंदपुर साहिब में 1160 पेडों की कटाई का परमिट 5 लाख 800 हजार रुपये (500 रुपये प्रति पेडा) की रिश्वत देकर लिया था।
पूर्व मंत्री धर्मसोत, उनके ओएसडी चमकौर सिंह और आरोपी कमलजीत सिंह (Kamaljit Singh) के द्वारा डीएफओ के तबादले के लिए 10 से 20 लाख रुपये, रेंजर के लिए 5 से 8 लाख, ब्लाक अफसर और वन गार्ड के लिए 2 से 3 लाख लाख रुपए की रिश्वत लेता था।
उन्होंने बताया कि धर्मसोत ने वन मंत्री के तौर पर अपने 3 सालों के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपए इकठ्ठा किए। अपने ओएसडी कमलजीत सिंह के द्वारा खैर के पेडों की कटाई के लिए परमिट जारी करने के बदले एक करोड़ रुपए लिए।
अमित चौहान के रोपड़ में डीएफओ के कार्यकाल के दौरान वह पंचायती जमीनों पर लगाए पेडों की संख्या कम दिखाते थे और बाकी रहते पेड़ोंं की कटाई की रकम ठेकेदारों के साथ सांझा करते थे, जिससे पंचायतों के फंडों का नुकसान होता था।
वह कमलजीत सिंह (Kamaljit Singh) को भी नाजायज माइनिंग करवाने के लिए छूट देता था। इसके अलावा धर्मसोत अपने ओएसडी चमकौर सिंह और कमलजीत सिंह के द्वारा वन जमीनों पर रास्ते के बदले एनओसी जारी करने के लिए कालोनाइजरों, नए बने फीलिंग स्टेशनों, नए प्रोजेक्टों के मालिकों और होटलों और रेस्टोरेंटों से रिश्वत लेता था।
हरमोहेंदर सिंह ठेकेदार ने पूर्व वन मंत्री संगत सिंह गिलजियां को मोहाली जिले के गांव नाडा में खैर के पेड़ों की कटाई का परमिट जारी करवाने के लिए कुलविंदर सिंह के द्वारा 5 लाख रुपए रिश्वत दी थी। उसने रेंज अफसर, ब्लाक अफसर और गार्ड को भी रिश्वत दी थी।
पूर्व मंत्री गिलजियां (former minister Gilzian) ने अपने कार्यकाल के दौरान हरमोहेंदर सिंह ठेकेदार की पंजाब के डीएफओ के साथ मीटिंग करवाई थी और हिदायत की थी कि पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्डों की खरीद सिर्फ सचिन कुमार से ही की जाएगी।
एक ट्री-गार्ड की कीमत 2800 थी। जिसमें से गिलजियां का हिस्सा रिश्वत के तौर पर 800 प्रति पेड़ था। उस समय कुल 80 हजार ट्री गार्ड खरीदे गए थे और गिलजियां ने 6 करोड़ 40 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर इकठ्ठा किए थे।
इस मुहिम का ठेका एक लिहाजदार ठेकेदार को दिया गया था, जो पौधों की कीमत उस नर्सरी के खाते में जमा करवा देता था, जिससे पौधे खरीदे जाने थे। लेकिन ठेकेदार बिना कोई पौधा खरीदे बाकी 20 प्रतिशत नर्सरी के पास छोड़ कर 80 प्रतिशत नकदी वापस ले लेता था।
यह पैसा फिर वन अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच बांटा जाता था। वन अधिकारियों ने धोखे से वन क्षेत्र में लगाई पुरानी कंटीली तारों को कंडम करार दिया और महंगे •ााव पर नई कंटीली तारें खरीदने के आदेश दिए। हालांकि, पुरानी कंडम तारें जिनको स्टोर में जमा करना पड़ता था, कभी भी बदला नहीं गया था।
मोहाली के वन अधिकारी रिश्वत के बदले जिले की पहाड़ियों के कुदरती रास्ते को लेवल करवा देते थे। कुछ समय पहले मोहाली के गांव नाडा में दिलप्रीत सिंह, वन गार्ड और अन्य वन अधिकारियों की मिलीभगत से पक्की सड़क बनाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र को लेवल किया गया था।
गिलजियां के कार्यकाल के दौरान अमित चौहान को डीएफओ रोपड़ नियुक्त किया गया था। उस समय बेला के नजदीक गांव जिंदा में 486 एकड़ जमीन में से एक महीने में ही नाजायज माइनिंग की गई। गांव में करीब 50 फुट गहरे गड्ढे खोदे गए थे। उन्होंने कहा कि सरपंचों की मिलीभगत से 40 से 50 करोड़ रुपए की गैर-कानूनी माइनिंग की गई थी।
इन खुलासों के बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत अमित चौहान आईएफएस, गुरमनप्रीत सिंह डीएफओ, दिलप्रीत सिंह वन गार्ड, पूर्व मंत्री एसएस धर्मसोत, एसएस गिलजियां, धर्मसोत के ओएसडी चमकौर सिंह, कंवलजीत सिंह खन्ना शहर, एसएस गिलजियां के पीए कुलविंदर सिंह शेरगिल्ल और सचिन कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
इस केस बारे पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, कमलजीत सिंह और चमकौर सिंह ओएसडी को मंगलवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया और आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
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