होम / 'या तिरंगा लहराकर आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर', आज ही के दिन जन्मा था पाकिस्तान को धूल चटाने वाला 'कारगिल योद्धा'

'या तिरंगा लहराकर आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर', आज ही के दिन जन्मा था पाकिस्तान को धूल चटाने वाला 'कारगिल योद्धा'

Raunak Kumar • LAST UPDATED : September 9, 2024, 5:07 pm IST

Vikram Batra Birth Anniversary: आज ही के दिन जन्मा था पाकिस्तान को धूल चटाने वाला ‘कारगिल योद्धा’

India News (इंडिया न्यूज), Vikram Batra Birth Anniversary: ‘या तो तिरंगा लहराकर लौटूंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ’ ये देश के वीर सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा के वो शब्द थे। जो आज भी भारतीय युवाओं को प्रेरित करता है। उनका जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ था। साल 1996 में विक्रम ने भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश लिया और फिर सेना में भर्ती हो गए। कारगिल युद्ध के दौरान शहीद होने से पहले विक्रम बत्रा ने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। दरअसल, विक्रम बत्रा की हिम्मत और कद-काठी को देखते हुए उन्हें शेरशाह कोड नाम दिया गया था। विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा बताते हैं कि आज भी पाकिस्तान में विक्रम बत्रा को शेरशाह के नाम से याद किया जाता है।

कैप्टन विक्रम बत्रा ने दिखाया था अदम्य साहस

बता दें कि, विक्रम बत्रा 6 दिसंबर 1997 को लेफ्टिनेंट के तौर पर 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे। 1 जून 1999 को उनकी यूनिट को कारगिल युद्ध में भेजा गया। वहीं हंप और राकी नाब जगहों पर जीत हासिल करने के बाद विक्रम को उसी समय कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा को श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाकिस्तानी सेना से आजाद कराने की जिम्मेदारी भी दी गई। बेहद दुर्गम इलाका होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह 3:30 बजे इस चोटी पर कब्जा कर लिया। चोटी 5140 पर खड़े होकर उन्होंने कहा ‘ये दिल मांगे मोर’।

Bangladesh में छा जाएगा अंधेरा, भारत के एक इशारे पर लुट जाएंगे यूनुस, भूल गए थे अरबों का कर्ज?

गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे शेरशाह

दरअसल, चोटी नंबर 5140 के बाद सेना ने चोटी नंबर 4875 पर भी कब्जा करने का अभियान शुरू किया। इसकी बागडोर भी कैप्टन विक्रम को सौंपी गई। अपनी जान की परवाह किए बिना कैप्टन बत्रा ने लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ मिलकर 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। मिशन लगभग पूरा हो चुका था लेकिन तभी उनके जूनियर ऑफिसर लेफ्टिनेंट नवीन के पास एक धमाका हुआ। नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। कैप्टन बत्रा नवीन को बचाने के लिए उसे पीछे खींचने लगे, तभी उनके सीने में गोली लग गई और भारत का यह शेर 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गया। विक्रम बत्रा को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

‘हमारी संस्कृति खतरे में क्यों…’, असम सीएम हिमंत सरमा ने नमाज और मस्जिद पर उठाए गंभीर सवाल

अमर हो गया विक्रम का प्यार

कैप्टन विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड का नाम डिंपल है। कारगिल युद्ध से लौटने के बाद वह उनसे शादी करने वाले थे। लेकिन जब वह कारगिल से लौटे तो उन्हें तिरंगे में लपेटा गया था। यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। डिंपल ने जीवन भर शादी न करने का फैसला किया। विक्रम और डिंपल की पहली मुलाकात 1995 में चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी। 4 साल के उस खूबसूरत रिश्ते में दोनों ने एक-दूसरे के साथ बहुत कम समय बिताया। आज भी जब डिंपल उस रिश्ते के एहसास को शब्दों में बयां करने की कोशिश करती हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। एक इंटरव्यू के दौरान डिंपल ने बताया था कि एक बार जब उन्होंने विक्रम से शादी के लिए पूछा तो विक्रम ने चुपचाप ब्लेड से अपना अंगूठा काटकर उनकी मांग भर दी थी।

सौ-सौ चूहे खाकर…, Bangladesh अब क्यों कर रहा भारत की तिमारदारी? Yunus ने कही ऐसी बात सुनकर छूट जाएगी हंसी

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

इजरायली रक्षा मंत्री के इस बयान ने मिडिल ईस्ट में मचाया बवाल, जानिए उसने ऐसा क्या कहा जिससे थर-थर कांपेगा हिजबुल्लाह और हमास?
Aaj Ka Panchang: आज आश्विन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि, जानिए राहुकाल और शुभ मुहूर्त
पराठे की पहले की पिटाई फिर ग्राहक को परोसा, Video को देख लोगों का भी कर दिया खाने का मन
नीतीश सरकार ने दादा-परदादा की ज़मीन पर लागू किया ये नया नियम, जानिए क्या है ये 5 मुख्य प्रावधान
क्या है वात्सल्य योजना? इसमे कैसे मिलेगी बच्चों को पेंशन, जानिए निर्मला सीतारमण का पूरा प्लान
मोदी सरकार क्यों लाना चाहती है ‘One Nation One Election’ कानून? एक साथ चुनाव में क्या हैं चुनौतियां
Kejriwal के इस्तीफा के बाद भी Atishi अभी क्यों नहीं बन सकतीं दिल्ली की CM? आखिर कहां फंसा हुआ पेच
ADVERTISEMENT