India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भारत ने एक नया इतिहास रच दिया। भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान उतारने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इससे अलग इसरो ने इस मिशन के मात्र 615 करोड़ रुपए की लागत में किया है। मिशन में प्रयोग किया गया ये बजट कई भारतीय फिल्मों से कम है।
इसरो की सफलता और अपने विज्ञान के बारे में खगोलशास्त्री और प्रोफेसर डॉ. आर.सी. कपूर ने कहा कि हमारी प्रवृत्ति कम से कम सुविधाओं, सबसे छोटी चीज़ों और न्यूनतम समर्थन प्रणाली से अधिकतम लाभ उठाने की है। यह आदत से है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम दयनीय तरीके से जीते हैं। निश्चित रूप से ऐसा नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि 6 दशकों में इसरो ने एक लंबा सफर तय किया है। इसरो जो भी गैजेट चाहता है, उसके निर्माण के लिए स्थानीय प्रतिभा है, घटकों की सोर्सिंग है। स्थानीय उद्योग की भागीदारी है और यह पिछले तीन दशकों से चल रहा है। उन्होंने कहा कि इसरो का काम काफी हद तक स्वदेशी और सराहनीय है।
गौरतलब है कि भारत का अभूतपूर्व मिशन चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग की है। ये सिस्टम 14 दिन लगातार चंद्रमा की तरह पर रिसर्च करेगा। इस अप्रतिम उपलब्धी को पाने वाला भारत पहला देश बन गया है। यानि भारत पहला देश है जिसने सॉउथ पोल में सफलतापुर्वक लैंडिंग की है। मालूम हो कि इससे पहले जितने भी मिशन चंद्रमा पर गए हैं वो सभी चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर ही पहुंच पाए हैं।
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