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India News (इंडिया न्यूज),Shivaji Tiger Claw: भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम पराक्रम, वीरता और रणनीति की मिसाल के रूप में दर्ज है। उनका हर एक कार्य देशभक्ति और स्वाभिमान से प्रेरित था। शिवाजी महाराज के पास कई ऐसे हथियार थे, जो उनके पराक्रम को और अद्वितीय बनाते थे। इन्हीं में से एक है ‘बाघ नख’, जो हाल ही में 350 साल बाद भारत लौट आया है। यह वही अस्त्र है जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल खान जैसे खूंखार मुस्लिम शासक को परास्त किया था। लेकिन क्या खास बात है इस ‘बाघ नख’ में? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
‘बाघ नख’ एक अद्वितीय हथियार है, जिसे बाघ के पंजे के आकार का बनाया गया है। यह एक छोटा, लेकिन अत्यंत घातक अस्त्र है। इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया गया था कि इसे आसानी से हाथ में छुपाया जा सके। इसका उपयोग तब होता है जब दुश्मन के करीब जाकर अचानक हमला करना हो। यह अस्त्र स्टील या लोहे से बना होता है और इसके नुकीले पंजे किसी भी दुश्मन को गहरी चोट देने के लिए पर्याप्त होते हैं।
1659 में जब शिवाजी महाराज ने अफजल खान से मिलने का निर्णय लिया, तो यह केवल एक साधारण बैठक नहीं थी, बल्कि उनके रणनीतिक कौशल का प्रमाण थी। अफजल खान एक विशालकाय शरीर वाला और क्रूर शासक था। उसने शिवाजी को धोखे से मारने की योजना बनाई थी, लेकिन शिवाजी महाराज उसकी चाल को पहले ही भांप चुके थे। उन्होंने अपने अंगरक्षकों के साथ एक विशेष रणनीति बनाई।
शिवाजी महाराज ने अपनी ढाल और तलवार के साथ ‘बाघ नख’ को भी अपने पास रखा। बैठक के दौरान, जब अफजल खान ने उन्हें गले लगाने के बहाने धोखा देने की कोशिश की, तब शिवाजी ने ‘बाघ नख’ का उपयोग करते हुए उसकी अंतड़ियां चीर दीं। यह हमला इतना घातक था कि अफजल खान मौके पर ही ढेर हो गया। यह घटना भारतीय इतिहास में वीरता और चातुर्य का एक अप्रतिम उदाहरण बन गई।
शिवाजी महाराज का यह ऐतिहासिक अस्त्र वर्षों तक विदेश में रहा। इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान इंग्लैंड ले जाया गया था। वहां यह विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शित किया गया। लेकिन 2023 में भारत सरकार और इतिहासकारों के अथक प्रयासों से इसे पुनः भारत लाया गया। यह न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय स्वाभिमान और धरोहर का प्रतीक भी है।
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शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि एक कुशल रणनीतिकार और संगठनकर्ता भी थे। उनके द्वारा ‘बाघ नख’ का उपयोग यह दर्शाता है कि कैसे वे अपनी हर योजना को बारीकी से तैयार करते थे। अफजल खान की हत्या केवल शारीरिक बल का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह उनकी रणनीतिक सूझबूझ और आत्मरक्षा कौशल का भी प्रमाण थी।
‘बाघ नख’ न केवल एक हथियार है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता और स्वाभिमान का प्रतीक भी है। इसकी भारत वापसी यह दिखाती है कि देश अपनी धरोहर को संजोने और उसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अस्त्र हमें हमारी गौरवशाली परंपरा और इतिहास की याद दिलाता है।
शिवाजी महाराज का ‘बाघ नख’ केवल एक अस्त्र नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास के स्वाभिमान और पराक्रम का प्रतीक है। इसकी भारत वापसी न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी परंपरा और इतिहास केवल संग्रहालयों में सहेजने के लिए नहीं, बल्कि प्रेरणा लेने के लिए भी हैं।
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