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One Nation One Election :एक देश एक चुनाव पर क्या कहते है जानकार, कितने राज्यों में होंगे लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव

Ritesh kumar Bajpeyee • LAST UPDATED : September 2, 2023, 11:51 am IST

India news(इंडिया न्यूज़)One Nation One Election: 2024 लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक देश-एक चुनाव की चर्चा पूरे देश में चलने लगी है। केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव के लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में एक समिति का निर्माण किया है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी बहुत पहले से एक देश एक चुनाव का नारा दे रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसपर पैरवी कर चुके है। एक देश एक चुनाव का मतलब है- देश के सभी चुनाव एक साथ हो। पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा 2014-15 में ही सरकार ने चुनाव आयोग से इस पर सुझाव मांगा था। रावत ने आगे कहा कि एक देश-एक चुनाव के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संसोधन करने की जरूरत है। 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए है।

चुनावी जानकार और विशेषज्ञ 2 तरह के फार्मूले का जिक्र करते हैं

  • ढाई-ढाई साल पर एक बार चुनाव हो। यानी पहले ढाई साल में लोकसभा के साथ कुछ राज्यों के चुनाव कराए जाएं और फिर दूसरे ढाई साल में बाकी बचे राज्यों के चुनाव हो।
  • एक साथ सभी राज्यों में चुनाव कराए जाएं। अगर बीच में किसी राज्य में विधानसभा भंग होता है, तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर केंद्र शासन करे। हालांकि, इस फॉर्मूले में कई पेंच भी है.

एक देश- चुनाव से I.N.D.I.A शासित 8 राज्यों में पहले चुनाव 

अगर ढाई साल वाला फॉर्मूला लागू हुआ, तो लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुड्डुचेरी, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना. जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और दिल्ली में INDIA गठबंधन में शामिल दलो की सरकार है। बाकी 6 राज्यों की सरकार में 1 साल से कम समय बचा हुआ है।

क्या कहता है संविधान 

एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव अगर पास होता है तो, कई राज्यों के विधानसभा को भंग करना पड़ेगा। पूर्व राष्ट्रपति के रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी इस पर अध्यन करके फैसला ले सकती  है। क्या यह संवैधानिक अधिकारों का हनन तो नहीं है। विधानसभा भंग करने के का अधिकार का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 176 में किया गया है।  इसके मुताबिक पूर्ण बहुमत नहीं होने पर ही राज्यपाल समय से पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकता है जानकारों यह भी मानते है कि राज्य अगर यह तर्क देता है कि समय से पहले बहुमत की सरकार को गिराना गलत है, तो एक देश एक चुनाव कराना मुश्किल हो सकता है।

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