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(दिल्ली) : ब्रिटिश न्यूज एजेंसी बीबीसी (BBC) की एक डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर भारत में जमकर बवाल मचा हुआ है। डॉक्यूमेंट्री पर भड़के विवाद अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है। देश में इसकी स्क्रीनिंग रोकने पर कांग्रेस, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आवाज उठा रही है।
बता दें, विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का शीर्षक ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’। यह एक दो पार्ट की एक फिल्म सीरीज है। 2002 गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी यह डॉक्यूमेंट्री, तब के राजनीतिक हालात को बयां करती है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुजरात के सीएम थे। डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हुआ था। अगला एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित होने जा रहा है, जिसकी स्क्रीनिंग रोक दी गई है। खबर ऐसी है कि बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी की छवि पर कठुराघात किया गया है।
जानकारी के मुताबिक, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात कार्यकाल को लेकर सवाल खडे़ किए गए हैं। जब वह गुजरात के तत्कालीन सीएम थे। बता दें, गुजरात में साल 2002 में दंगे भड़के थे। इस दंगे में करीब 2,000 लोग मारे गए थे। इसी को लेकर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए गए हैं। बीबीसी की ओर से दावा किया गया है कि यह पूरी तरह से शोधपूर्ण रिपोर्टिंग है, जो हिंसा की सही तस्वीर दिखा रही है।
बता दें, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया जारी करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि यह एक प्रौपेगैंडा पीस है। इसका उद्देश्य एक तरह का नजरिया पेश करना है, जिसे लोग पहले ही नकार चुके हैं। इस फिल्म को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नजरिए को दोबारा दिखाना चाहते हैं।
भारत सरकार की ओर से इस डॉक्यूमेंट्री पर कहा गया है कि इस डॉक्यूमेंट्री में निष्पक्षता का अभाव है, जिसकी वजह से देश में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोक दी गई है। केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की क्लिप दिखाने वाले ट्विटर और यूट्यूब चैनलों के खिलाफ आदेश जारी किया है। केंद्र सरकार ने दोनों सोशल मीडिया हैंडल से संबंधित खातों को ब्लॉक करने की अपील भी की है।
सूत्रों के मुताबिक, इस डॉक्यूमेंट्री को हटाने के पीछे भारत-ब्रिटेन संबंध बताये जा रहे हैं। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री कथित तौर पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करती नजर आ रही थी। जो भारत के विदेशी राज्यों के साथ मैत्रिपूर्ण संबंधों को भी खराब कर सकती थी । यही नहीं देश के भीतर भी सार्वजनिक व्यवस्था पर यह गलत असर डाल सकती थी। यही वजह है कि इसे हटा लिया गया है।
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