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India News (इंडिया न्यूज़), No Confidence Motion, दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों की ओर से सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की तरफ से यह प्रस्ताव दिया गया था। गोगोई द्वारा प्रस्ताव पेश करने के बाद अध्यक्ष ने प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सदस्यों की संख्या के बारे में पूछा। अध्यक्ष ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और कहा कि बहस का समय बाद में तय किया जाएगा।
इसे लोकसभा के किसी भी सदस्य द्वारा लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यदि सदन के किसी सदस्य को लगता है कि सत्ता में सरकार के पास बहुमत नहीं है तो केवल अविश्वास प्रस्ताव ही लाया जा सकता है और यदि प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो केंद्र में सत्तारूढ़ दल को सदन में अपना बहुमत साबित करना होगा।
लोकसभा सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होगी जिसे सदन में अध्यक्ष द्वारा पढ़ा जाएगा। प्रस्ताव को न्यूनतम 50 सदस्यों को स्वीकार करना होगा। आवंटित तिथि प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के दिन से 10 दिनों के भीतर होनी चाहिए अन्यथा प्रस्ताव विफल हो जाता है। यदि सरकार सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाती है, तो तत्कालीन सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।
भारत की आजादी के बाद से लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। पहले दो अविश्वास प्रस्ताव 1962 के युद्ध में चीन से हारने के तुरंत बाद अगस्त 1963 में कांग्रेस नेता आचार्य कृपलानी द्वारा प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लाए गए थे। प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी को अधिकतम अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा। 15 बार इंदिरा सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। यह कभी नहीं पास हुआ।
लालबहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव सरकार को तीन बार, मोरारजी देसाई को दो और जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी को एक-एक अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है।
अविश्वास प्रस्ताव ज्यादतर समय गिरा है। साल 1979 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई थी और वही साल 1999 में वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी। 2018 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था। तब सरकार के समर्थन में 314 वोट मिले थे।
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