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जानिए नवजोत सिंह सिद्धू के उस केस की कहानी, जिस मामले में उन्हें सजा हुई

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गत दिवस पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सन 1988 के रोडरेज केस में एक साल की सजा सुनाई है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गैर इरादन हत्या में बरी कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर हुई थी जिस पर बीते गुरुवार को एक साल की सजा का फैसला सुनाया गया है। तो चलिए जानते हैं क्या था रोडरेज मामला (Road Rage Case), देश में रोड रेज को लेकर क्या है कानून? दुनिया के बाकी देशों में क्या कानून है।

क्या है रोड रेज?

रोज रेज का मतलब गाड़ी के ड्राइवर की ओर से आक्रामक, जबर्दस्ती या गुस्से वाला व्यवहार करना है। सीधे शब्दों में कहें तो रोड रेज गाड़ी चलाते समय अचानक हुई हिंसा या गुस्सा है जो गाड़ी चलाते समय गुस्से और हताशा के कारण पैदा होती है। रोड रेज की वजह जबर्दस्ती और एग्रेसिव ड्राइविंग को माना जाता है।
रोड रेज में असभ्य व्यवहार, अपमान करना, चिल्लाना, धमकियां देना, मारपीट करना या अन्य ड्राइवरों, पैदल चलने वालों या साइकिल चालकों को डराने-धमकाने के प्रयास में खतरनाक ड्राइविंग करना आदि शामिल हैं। रोड रेज से विवाद, संपत्ति को नुकसान, हमले और टकराव हो सकते हैं जिससे गंभीर चोट लग सकती है या मौत हो सकती है।

1988 का क्या है मामला

Navjot Singh Sidhu (file photo)

बता दें 27 दिसंबर 1988 की शाम को नवजोत सिद्धू दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे, उस समय सिद्धू  क्रिकेटर थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए अभी एक साल ही हुआ था। इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंच गई थी। सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
यह मामला अदालत तक पहुंच गया था जहां निचली अदालत ने 1999 में सिद्धू को बरी कर दिया था लेकिन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला पलटते हुए सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल की सजा सुनाई थी लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को बरी किया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 1,000 रुपये के जुमार्ने बरी किया। इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरनाम सिंह के परिजनों ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। बीते कल इसी रिव्यू पिटीशन की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा का फैसला सुनाया है।
बीते कल सुनवाई से ठीक पहले सिद्धू ने अपने वकील के जरिए कोर्ट से गुहार लगाई है कि उसे जेल भेजकर और सजा नहीं दी जाए। सिद्धू ने अदालत से उनके विवादहीन राजनीतिक और खेल करियर, परोपकारी कार्यों, सामाजिक कल्याण, जरूरतमंदों की मदद को देखते हुए नरम रुख अपनाने का आग्रह किया।

देश में रोड रेज पर क्या है कानून

देश में पिछले कुछ वर्षों से रोड रेज की घटनाओं में काफी तेजी देखने को मिल रही है, लेकिन भारतीय कानून के तहत अब भी रोड रेज दंडनीय अपराध नहीं है। हालांकि मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसे कई सेक्शन हैं जो रोड इंजरी और रैश ड्राइविंग के मामलों से जुड़े हैं, लेकिन इस एक्ट में ऐसा कोई सेक्शन नहीं है जो रोड रेज से संबंधित हो। यानी मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जोकि रोड रेज को दंडनीय अपराध बनाता हो। आॅस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों में रोड रेज दंडनीय अपराध है।
मार्च 2021 में एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि रोड रेज के बढ़ते मामलों को देखते हुए उसे दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए। परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक 2021 में देश में रोडरेज और रैश ड्राइविंग के 2.15 लाख मामले आए थे।

रोड रेज पर अन्य देशों का कानून क्या कहता है?

ब्रिटेन: ब्रिटेन में पब्लिक आॅर्डर एक्ट 1986 रोड रेज के मामले में लागू होता है। रोड रेज के मामले में दोषी पाए जाने पर 10 हजार से लेकर ढाई लाख रुपए तक का जुमार्ना लगाया जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में रोड रेज को काफी गंभीर अपराध माना जाता है। यहां पर सड़क पर किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने या धमकी देने पर 5 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही 54 लाख रुपए का जुमार्ना भी लगाया जा सकता है और ड्राइविंग से अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।
सिंगापुर: सिंगापुर में भी रोड रेज को एक गंभीर अपराध माना जाता है। रोड रेज के मामले में दोषी मिलने पर 2 साल की जेल या 3.88 लाख तक का जुमार्ना लगाया जा सकता है।

रोड रेज बढ़ने की वजह क्या?

बता दें आज के समय में तेजी से बढ़ती आबादी, गांवों से शहरों में होने वाले विस्थापन, वाहनों की तादाद में वृद्धि, सड़कों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव व ड्राइवरों में बढ़ती इन्टॉलरेंस ये सब रोड रेज बढ़ने की प्रमुख वजहें हैं। इन्टॉलरेंस का आलम यह है कि वाहन में जरा-सी टक्कर लगते ही मारपीट शुरू हो जाती है।
देश में सड़कों की लंबाई के मुकाबले गाड़ियों की बढ़ती संख्या ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। मिसाल के तौर पर दिल्ली में बीते दो दशकों के दौरान गाड़ियों की संख्या में जहां 212 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं सड़कों की लंबाई महज 17 फीसदी बढ़ी है। इस वजह से लोगों को सड़कों पर पहले के मुकाबले ज्यादा देर तक रहना पड़ता है। इससे नाराजगी और हताशा बढ़ती है। जो मामूली कहा-सुनी हिंसक का रूप धारण कर लेती है।

सिद्धू का राजनीतिक करियर

Navjot Singh Sidhu (File Photo)

नवजोत सिंह सिद्धू पेशे से एक क्रिकेट खिलाड़ी, पर्यटन मंत्री, पंजाब राज्य के सांस्कृतिक मामलें और संग्रहालय मंत्री रह चुके हैं। सिद्धू 2004 में बीजेपी टिकट पर अमृतसर से लोकसभा के लिए चुने गए थे। 2006 में सिद्धू ने हत्या के आरोपों का सामना करने के बाद लोकसभा से अपना इस्तीफा दे दिया।
2009 में उन्होंने कांग्रेस विरोधी सुरिंदर सिंगला को भारी से हराया था। सिद्धू ने 2014 के लोकसभा चुनावों में चुनाव नहीं लड़ा था। मोदी सरकार ने अप्रैल 2016 में सिद्धू को राज्यसभा में नामांकित किया। हालांकि उन्होंने 18 जुलाई, 2016 को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। नवजोत सिंह सिद्धू ने सितंबर 2016 में भाजपा से इस्तीफा दे दिया।  सिद्धू ने अवाज-ए-पंजाब (एईपी) नामक एक मोर्चा लॉन्च किया। जनवरी 2017 में सिद्धू कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
हालांकि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का ‘हाथ’ पकड़ लिया। 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में पंजाब की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया। लिहाजा कांग्रेस ने सूबे में सरकार बनाई। तब सिद्धू को कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद साल आया 2019 का जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में बदलाव करते हुए सिद्धू का मंत्रिमंडल बदल दिया, इसके विरोध में सिद्धू ने पदभार ग्रहण किए बिना ही इस्तीफा दे दिया।
India News Desk

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