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जानिए क्या है ताजमहल के 22 कमरों को खोलने का विवाद

India News Desk • LAST UPDATED : May 20, 2022, 7:54 pm IST
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जानिए क्या है ताजमहल के 22 कमरों को खोलने का विवाद

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: 
दुनिया भर के 7 अजूबों में से एक आगरा का ताजमहल अपने वास्तुकला के लिए मशहूर है। सफ़ेद संगमरमर की यह स्मारक पूरी दुनिया में प्रेम की निशानी के तौर पर मशहूर है। ताजमहल को वर्ष 1983 में युनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाई गई इस धरोहर को देखने हर साल 80 लाख से अधिक लोग आते हैं।

ताज महल की वास्तु शैली की बात करें तो यह खूबसूरत इमारत फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तु श्रेष्ठता के घटकों का अनोखा मिश्रण है। हाल ही में ताजमहल एक विवाद की वजह से काफी चर्चा में है। चलिए जानते हैं कि क्या है ताजमहल विवाद।

जानिए क्या है ताजमहल के 22 कमरों को खोलने का विवाद

ताजमहल के 22 कमरों को जांच के लिए खोलने की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें ताजमहल के 22 कमरों को जांच के लिए खोलने का निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट में दायर हुई याचिका में इन कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों की मौजूदगी का दावा किया था। याचिका में सरकार से यह मांग की गई थी कि वह “ताजमहल के वास्तविक इतिहास के अध्ययन और प्रकाशन के लिए एक तथ्यान्वेषी समिति को गठित करें और इसके विवाद को खत्म करे।” याचिकाकर्ता ने तर्क पेश करते हुए कहा था कि “कई हिंदुत्व समूहों का दावा है कि ताजमहल वास्तव में एक पुराना शिव मंदिर है जो पहले तेजो महालय कहलाता था।”

भाजपा अयोध्या जिला अध्यक्ष ने दायर की थी याचिका

याचिकाकर्ता ने था कि “स्मारक के इन कमरों को खोलने और सभी विवादों को शांत करने में कोई बुराई तो नहीं है।” याचिका ये भी दावा किया गया कि “1631 से 1653 के बीच के 22 साल में ताजमहल बनाए जाने की बात सच्चाई के परे है और मूर्खतापूर्ण भी।” याचिका को उच्च न्यायालय में 7 मई, 2022 को दायर किया गया था। हाईकोर्ट में यह याचिका डॉ. रजनीश सिंह ने दायर की थी। उन्होंने डेंटल साइंस की पढ़ाई की है और भाजपा की अयोध्या ज़िला समिति के सदस्य हैं और मीडिया कोऑर्डिनेटर भी हैं।

याचिकाकर्ता ने किए थे ये दावे

जानकारी के मुताबिक याचिका में दावा किया गया था कि राजा परमर्दी देव ने सन 1212 ईस्वी में तेजो महालय मंदिर महल का निर्माण कराया था। इस मंदिर को तब शासकों को सौंप दिया गया था। सन 1632 में शाहजहां ने राजा जय सिंह से इसे अपने कब्जे में ले लिया था और इसे अपनी पत्नी के स्मारक के रूप में बदल दिया था। याचिका में यह दावा किया कि ये बात बेतुकी और वास्तविकता से परे है कि एक मकबरे के निर्माण को पूरा होने में 22 साल लगते हैं। कई पुस्तकों में शाहजहां की पत्नी को मुमताज-उल-ज़मानी के रूप में वर्णित किया गया है न कि मुमताज महल के रूप में।

ताजमहल को लेकर क्या है विवाद ?

ताजमहल का विवाद कोई नया मामला नहीं है। यह विवाद पिछले एक दशक से गति पकड़ रहा है। पहले भी ताजमहल को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी। वर्ष 2015 में सात याचिकाओं के एक समूह ने आगरा के सिविल जज के सामने अपनी याचिकाएं दायर करते हुए मांग की थी कि “हिंदू भक्तों को ताजमहल में पूजा करने की अनुमति दी जाए। उनका कहना था कि 16 वीं शताब्दी का प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल मूल रूप से तेजो महालय नाम का एक शिव मंदिर था।

याचिकाओं में ताजमहल परिसर के अंदर के बंद कमरों को खोलने का निर्देश देने की मांग भी की गई थी। मुख्य याचिकाकर्ता हरि शंकर जैन ने दावा किया था कि “कम से कम 109 पुरातात्विक विशेषताएं और ऐतिहासिक साक्ष्य यह साबित करते हैं कि इमारत निःसंदेह रूप से एक हिंदू मंदिर है।”

हालांकि, याचिका अभी भी आगरा में ट्रायल कोर्ट में मामला लंबित पड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने बाद में 25 अक्टूबर, वर्ष 2017 को आगरा की अदालत में एक आवेदन दायर कर ताजमहल के बंद कक्षों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की अनुमति मांगी. जिसे अदालत द्वारा ठुकरा दिया गया था।

शाहजहां ने कब और क्यों बनवाया ताज महल

शाहजहां ने 17वीं सदी में अपनी बेगम मुमताज़ की याद में ताज महल का निर्माण किया था। सन 1560 के आसपास दिल्ली में बने हुमायूं के मक़बरे की तर्ज़ पर ताज महल का निर्माण करवाया गया था। इसके लिए 42 एकड़ ज़मीन चुनी गई। ताज महल कि चारों मीनारें 139 फ़ीट ऊंची हैं और सबके ऊपर एक छतरी लगाई गई है। ताजमहल के निर्माण में 22 सालों का समाया लगा था जो जनवरी 1632 में शुरू हुआ था और यह 1655 में बनकर तैयार हुआ।

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