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जब जिन्ना के मंसूबों पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने फेरा था पानी, जानें जूनागढ़ के भारत में विलय की कहानी!

BY: Akanksha Gupta • LAST UPDATED : August 13, 2023, 5:25 pm IST
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जब जिन्ना के मंसूबों पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने फेरा था पानी, जानें जूनागढ़ के भारत में विलय की कहानी!

know the story of Junagadh’s merger in India

India News (इंडिया न्यूज़), Independence Day Special: देश को आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सैनानी शहीद हो गए। स्वतंत्रता संग्राम की बलि वेदी पर आजादी के अनगिनत दीवानों ने अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर दिया। इसके लिए कई महिलाओं का सुहाग उजड़ा, कई मां की गोद सूनी हो गई, कई बहनों से उनके भाई की राखी बांधने वाली कलाई छिन गई। 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब आखिरकार एक लंबे संर्घष के बाद हमारा देश ब्रिटिश गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ था। मगर देश का बंटवारा भी हो गया। मजहब के आधार पर एक देश का बंटवारा हो गया। भारत से अलग होकर एक नया मुल्क पाकिस्तान बन गया था।

भारत के दोनों तरफ पाकिस्तान पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान है जो कि अब बांग्लादेश बन चुका है। भारत के हिस्से वाले इलाकों में करीब 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी रियासतें हुआ करती थीं। कुछ ऐसा ही हाल पाकिस्तान वाले हिस्से का भी हुआ करता था। नए-नए आजाद हुए देश के लिए इन सभी देसी रियासतों का विलय एक सबसे बड़ी चुनौती थी। कुछ रियासतें ऐसी भी थीं जहां मुस्लिम शासक था। परंतु ज्यादातर आबादी हिंदू और वहां के शासक पाकिस्तान में विलय चाहते थे।

कैसे पटेल ने कराया था इन रियायतों का विलय? 

इन सभी रियासतों का सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन विलय कराया था। तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार और खासकर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन रियासतों का विलय करवाया। मान-मनौव्वल, समझा-बुझाकर और जरूरत पड़ने पर सख्ती दिखाकर उन्होंने इन रियायतों का विलय करा लिया। तिनका-तिनका जोड़कर जैसे चिड़ियां अपना घोंसला बनाती हैं। ठीक उसी तरह एक-एक रियायत जोड़कर आधुनिक भारत की नींव रखी गई। तो आइए इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक नजर डालते हैं इन रियासतों में से एक जूनागढ़ के भारत विलय पर….।

 Junagadh merger in India

कैसे जिन्ना के मंसूबों पर पटेल ने फेरा था पानी…

बता दें कि हिंदू बहुल जूनागढ़ के नवाब ने भारत की आज़ादी के बाद पाकिस्‍तान के साथ जाने का फैसला किया था। जबकि इस देसी रियासत की सीमा पाकिस्‍तान से लगती तक नहीं थी। भारत जूनागढ़ के नवाब की इस चालबाजी से नाराज था। उसे इस बात का डर था कि अगर जूनागढ़ पाकिस्‍तान में चला गया तो रिसायत में काफी ज्यादा उथल-पुथल मच जाएगी। सांप्रदायिक हिंसा और भी ज्यादा भड़क जाएगी। जूनागढ़ के नवाब को काफी समझाने के बाद भी जब वह अपने इसी रुख पर अड़े रहे। तो सरकार ने जूनागढ़ रियासत के तहत आने वाले दो छोटे-छोटे राज्‍यों को भारत में मिला लिया था। साथ ही जूनागढ़ रियासत की सप्‍लाई लाइनों को काटकर चारों ओर बड़ी सेना लगा दी गई थी। इसके अलावा बॉम्‍बे में जूनागढ़ की एक अंतरिम सरकार का भी गठन किया गया था। नवाब कराची इस तरह से दबाव बढ़ने के बाद भाग गए। जिसके बाद जूनागढ़ के भारत में मिलने का रास्‍ता बिल्कुल साफ हो गया था। जिसके बाद फरवरी 1948 में बाकायदा जनमत संग्रह कराया गया। इस दौरान 90% से ज्‍यादा लोगों ने भारत को चुना।

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