(दिल्ली) : 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई तो भ्रष्टाचार को लेकर बड़े -बड़े दावें किए थे। भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख जताते हुए पीएम मोदी ने कहा था ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा ‘। मैं भी चौकीदार के कैम्पेन चलाए गए। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश भारत भ्रष्टाचार से निपटने में कितना कामयाब हुआ है और मौजूदा समय में इसकी क्या स्थिति है। इस पर करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) की साल 2022 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हो गया है। बता दें, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की तरफ से मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मोदी सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार के स्तर में 2 अंकों की कमी आई है। यानि भ्रष्टाचार पर भारत ने दो अंकों का सुधार किया है। मालूम हो, सीपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर दक्षिण एशियाई देश करप्शन पर काबू पाने में विफल रहे हैं।
बता दें, CPI ने अपनी रिपोर्ट में 180 देशों की लिस्ट जारी की है। CPI जीरो (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (बहुत साफ) के पैमाने पर सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के स्तरों के आधार पर 180 देशों के भ्रष्टाचार के मामले में रैंकिंग जारी की है। सीपीआई की रिपोर्ट में एशिया पैसिफिक का औसत लगातार चौथे साल 45 पर है, और 70 फीसदी से ज्यादा देशों की रैंक 50 से नीचे है।
बता दें, सीपीआई की रिपोर्ट में भारत को 40 अंक मिले हैं। 180 देशों की लिस्ट में भारत ने 85 वां स्थान पाया है। मालूम हो, 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी। तब भ्रष्टाचार की रैंकिंग में भारत को 38 पॉइंट मिले थे। पीएम मोदी के पिछले 8 सालों का कार्यकाल देखें तो करप्शन इंडेक्स में भारत को महज दो पॉइंट की बढ़त हासिल हुई है।
CPI की रिपोर्ट में सबसे साफ देशों की बात की जाए तो पहले पायदान पर 90 अंकों के साथ डेनमार्क ने जगह बनाई है। इसके बाद 87 अंकों के साथ फिनलैंड दूसरे नंबर, 87 अंकों के तीसरे नंबर पर न्यूजीलैंड का जलवा है। वहीं चौथे नंबर पर नार्वे है जिसे 84 पॉइंट मिले हैं। लिस्ट में पांचवे पर सिंगापुर (83), छठे पर स्वीडन(83), सांतवे पर स्विटजरलैंड (82), आंठवे पर नीदरलैंड (80), नौंवे पर जर्मनी (79) औऱ दंसवे पर आयरलैंड (79) हैं।
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