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Who Are The Nihangs
इंडिया न्यूज
दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर एक युवक का कत्ल करने का मामला सामने आया है। गुरुवार की रात एक युवक को इतनी बुरी तरह से पीटा गया कि वह असहाय हो गया। यही नहीं हमलावर ने युवक का एक हाथा भी काट दिया और 100 मीटर घसीटते हुए चल रहे किसान आंदोलन के मंच तक ले गया और मृत शरीर को लटका दिया। मरने वाला युवक पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा गांव का बताया जा रहा है जिसका नाम लखबीर सिंह है। वहीं मारने वाला कोई और नहीं बल्कि एक निहंग (Nihang) है जिसका कहना है कि युवक ने गुरु स्वरूप ग्रंथ की बेअदबी की है।
निहंग शब्द का मतलब होता है, तलवार, कलम और मगरमच्छ। कहते हैं कि यह शब्द संस्कृत के नि:शंक से जुड़ा हुआ है। जिसका मतलब जो किसी भी तरह से भय रहित हो। निहंग शब्द का एक अर्थ होता है पूर्ण योद्धा। इस शब्द का इस्तेमाल श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भी हुआ है, लेकिन वहां इसका मतलब और संदर्भ बिल्कुल भिन्न था। यह वह लोग होते हैं जो हमेशा नीले वस्त्र धारण करते हैं, जो पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के हथियार रखते हैं। वहीं निहंगों को सिख कौम में एक योद्धा के रूप में जाना जाता है। निहंगों हमेशा कलाई भारी कड़ा, जंगी कड़ा और पगड़ी के चारों और एक चक्र धारण करते हैंं। इनके पास कृपाण, भाला और हाथ में छोटा खंजर भी होता है। यह अपनी सुरक्षा के लिए पीठ पर एक ढाल और गले में चक्रम और लोहे की जंजीरें भी पहन कर रखते हैं।
खालसा पंथ के सजृनहार कलगीधर गुरु गोविंद सिंह हैं। जब मुगलों के साथ युद्ध चल रहा था तब सैनिक ही आपस में मारने लगे थे। तब गुरु ने पाया कि इस तरह से तो हमारे सैनिक अपनी ही सेना को मारते रहेंगे। तब उन्होंने सभी सैनिकों को केश बढ़ाने के लिए कहते हुए युद्ध लड़ने की कला से निपुण किया और जंग को जीत लिया।
निहंग आम सिखों से बिल्कुल ही अलग होते हैं। यह प्राय: नीले रंग के कपड़े पहनते हैं जो कि त्याग का प्रतीक माना गया है। सिर पर एक फीट ऊंची पगड़ी पहनते हुए ऊपर दुमाला लगाते हैं। देखा जाए तो इनकी पगड़ी सिर से भी बड़ी होती है। जो कि आम सिख नहीं पहनते।
निहंगों के पहनावे को लेकर एक किस्सा यह भी माना गया है कि जब गुरु जी के तीन साहिबजादे युद्ध कला का अभ्यास कर रहे थे तो सबसे छोटे फतेह सिंह वहां आ गए और बड़े भाईयों से युद्ध कौशल सिखाने की मांग करने लगे। तब तीनों ने फतेह को कहा कि अभी तुम छोटे हो। यह बात सुनते ही वह घर के अंदर गया और वैसी ही पोशाक पहन कर बाहर आया जो आज के समय में निहंग पहनते हैं, और कहा कि अब तो मैं बड़ा हो गया हूं। तब से इस वेशभूषा की प्रथा शुरू होना भी माना जाता रहा है। वहीं 10वें पातशाह निहंगों को अपनी लाडली फौज के रूप में भी मानते थे।
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