महाराष्ट्र के लंबे समय से अटके नगर निगम चुनाव आखिरकार होने जा रहे हैं. दो साल से ज़्यादा समय से रुके हुए ये चुनाव अब जल्द ही होंगे. 29 नगर निगमों जिसमें मुंबई का अहम बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) भी शामिल है, के साथ-साथ 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के लिए वोटिंग 15 जनवरी, 2025 को शुरू होगी. इस चुनाव के नतीजे 16 जनवरी को आएंगे. यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के बाद हुई है, जिससे OBC आरक्षण और वार्डों के परिसीमन जैसी बाधाएं दूर हो गईं और प्रमुख शहरी केंद्रों में चुनाव का रास्ता साफ हो गया.
BMC, जो एशिया का सबसे अमीर नगर निकाय है और जिसका बजट कई छोटे राज्यों से ज़्यादा है, इन चुनावों में सबसे अहम है. पहले इस पर अविभाजित शिवसेना का दबदबा था, लेकिन अब यह सत्ताधारी और विपक्षी गठबंधनों के बीच कड़ी टक्कर का मैदान बन गया है.
मुंबई और राजनीतिक दांव
ये चुनाव सिर्फ स्थानीय शासन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये महाराष्ट्र की टूटी-फूटी राजनीतिक स्थिति के लिए एक लिटमस टेस्ट हैं. सत्ताधारी महायुति गठबंधन; जिसमें BJP, एकनाथ शिंदे का शिवसेना गुट और अजीत पवार की NCP शामिल हैं—खासकर मुंबई, पुणे और ठाणे में अपना दबदबा बनाना चाहता है, वहीं BJP नेता शिंदे के गुट से BMC पर नियंत्रण छीनना चाहते हैं, जबकि शिंदे ने खुद संकेत दिया है कि मेयर का पद महायुति के पास ही रहेगा.
विपक्षी MVA, जिसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) शामिल हैं, इन चुनावों को अपने अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देख रही है. 2024 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद, यहां अच्छा प्रदर्शन उनकी किस्मत बदल सकता है. ठाकरे की शिवसेना (UBT) के लिए, BMC पर अपना प्रभाव वापस पाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह उसका ऐतिहासिक गढ़ रहा है.
इसमें एक और दिलचस्प बात यह है कि दशकों की दुश्मनी के बाद, प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों के नेता भाई उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह के संकेत मिल रहे हैं. BJP के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चे की फुसफुसाहट जारी है, हालांकि अभी तक कोई औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है.
चुनाव में देरी क्यों हुई और इसका क्या मतलब है?
प्रमुख नगर निगमों में नगर निगम चुनाव 2022 में कार्यकाल खत्म होने के बाद से ही अटके हुए थे, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटा और वार्डों की नई सीमाओं को लेकर कानूनी मामलों में उलझे हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी की समय सीमा तय की, जिससे कार्रवाई करना जरूरी हो गया था. 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में हुए चुनावों में 2 दिसंबर को वोटिंग हुई, जिसके नतीजे 21 दिसंबर को आने हैं; जबकि अन्य 24 चुनावों को टाल दिया गया, जिन्हें 20 दिसंबर के लिए रीशेड्यूल किया गया है.
आर्थिक रूप से, BMC के विशाल संसाधन इस मुकाबले की गंभीरता और महत्त्व को बढ़ाते हैं. इसे कंट्रोल करने का मतलब है 1.2 करोड़ मुंबईकरों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, पानी की सप्लाई और स्वास्थ्य सेवाओं को कंट्रोल करना, साथ ही फायदेमंद कॉन्ट्रैक्ट्स भी; जो BMC के सदस्यों को बड़ा मुनाफा देते हैं.
वोटर्स का मूड और व्यापक प्रभाव
चुनाव में देरी और शासन की कमियों – जैसे गड्ढों वाली सड़कें और बाढ़ – से जनता थकी हुई है और असंतुष्ट है. जनता की यह भावना नतीजों को प्रभावित कर सकती है. महायुति अपनी विधानसभा जीत से मिले विकास के नैरेटिव पर भरोसा कर रही है, जबकि MVA भ्रष्टाचार के आरोपों और अधूरे वादों पर जोर दे रही है.
महायुति की बड़ी जीत BJP के शहरी विस्तार को मजबूत कर सकती है, जिससे 2029 के चुनावों से पहले राज्य की सत्ता की गतिशीलता बदल जाएगी. इसके विपरीत, MVA की जीत सत्तारूढ़ गठबंधन को तोड़ सकती है और ठाकरे के पुनरुद्धार को बढ़ावा दे सकती है. ठाकरे भाइयों के संभावित रूप से एक साथ आने से, शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई में एक नया मोड़ आ सकता है, जिससे मुंबई का राजनीतिक DNA बदल सकता है.
जैसे-जैसे कैंपेन तेज होंगे, तीखी बयानबाजी, जोरदार रैलियां और घर-घर जाकर प्रचार देखने को मिलेगा. BMC चुनाव के परिणाम मुंबई की राजनीति को एक नया कलेवर देने को तैयार हैं.