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MNREGA: गरीबों को रोजगार देने वाला मनरेगा बना भ्रष्टाचार का एपिक सेंटर, हुआ बड़ा खुलासा

BY: Rajesh kumar • LAST UPDATED : November 25, 2023, 11:23 am IST
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MNREGA: गरीबों को रोजगार देने वाला मनरेगा बना भ्रष्टाचार का एपिक सेंटर, हुआ बड़ा खुलासा

India News (इंडिया न्यूज),MNREGA: महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना को लेकर केंद्र सरकार की सोशल ऑडिट से बड़ा खुलासा हुआ है। सोशल ऑडिट में यह खुलासा हुआ है कि गरीबों के लिए बने इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। मजे की बात यह है कि यह ऑडिट सिर्फ गिने-चुने राज्यों में ही हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 राज्यों में यह 50 प्रतिशत तक धांधली तो केरल में 100 प्रतिशत पंचायतों में यह भ्रष्टाचार किया गया है। केंद्र के बार-बार कहने के बावजूद मध्य प्रदेश-तेलंगाना समेत कई राज्यों ने इस काम को पूरा नहीं किया गया। जिन राज्यों ने 50 प्रतिशत से ज्यादा पंचायतों में यह ऑडिट का काम किया है, उनमें बिहार (64.4%), गुजरात (58.8%), जम्मू और कश्मीर (64.1%), ओडिशा (60.42%) और उत्तर प्रदेश (54.97%) शामिल हैं।

भ्रष्टाचार का एपिक सेंटर क्यों बन गया मनरेगा?

बता दें कि बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से मनरेगा में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हुआ है। 2021 में द वायर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि मनरेगा में 2016-21 तक 935 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। वहीं, 2016 में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि पिछले 10 साल में मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर हजारों शिकायतें मिली। इस दौरान केंद्र ने 3.13 लाख करोड़ रुपए इस पर खर्च किए थे।

शिकायत अनुसार मनरेगा में 3 तरह से भ्रष्टाचार किए गए

1. मजदूरों का फर्जी कार्ड बनाकर लोगों का पैसा ठेकेदार उठा रहे हैं।
2. अधूरा काम का पैसा पूरा बताकर सरकार से ले लिया जा रहा है।
3. कम मजदूरों से काम कराकर ज्यादा मजदूरों का पैसा लिया जा रहा है।

मनरेगा में भ्रष्टाचार खत्म करने हेतु निम्नलिखित सिफारिशें

  • मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति पर जोर दें। अभी तक देश में सिर्फ 263 लोकपाल नियुक्त हुए हैं, जबकि 715 लोकपाल को नियुक्त किया जाना था।
  • कामों की समीक्षा के लिए समय-समय पर सोशल ऑडिट का काम हो। ऑडिट ग्राम स्तर पर किया जाए। ऑडिट नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई की व्यवस्था की जाए।
  • मनरेगा में मजदूरों की भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी करने की जरूरत है। मजदूरों की चिह्नित करने की भी एक व्यवस्था बनाने पर विचार हो।

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