इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Why Putin Needs Ukraine: कहने को तो रूस दुनियाभर के सभी देशों में सबसे बड़ा देश कहलाता है। यहां तक की भारत के एरिया क्षेत्र में रूस पांच गुना अधिक बड़ा है। क्योंकि कहते हैं कि रूस के तटीय इलाके की लंबाई 36000 किलो मीटर है। अब सवाल यह उठता है कि अगर रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है तो यूक्रेन जैसे छोटे से देश पर रूस के राष्टÑपति व्लादिमीर पुतिन क्यों कब्जा करना चाहते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में। (Russia-Ukraine Crisis)
आपको बता दें कि रूस 1.7 करोड़ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ दुनिया का सबसे बड़ा देश है। रूस के पास इतनी जमीन है कि भारत जैसे पांच देश इसमें समा जाएं। यह इतना बड़ा है कि एक देश होने के बावजूद रूस में 11 टाइम जोन हैं। 11 टाइम जोन होने का मतलब है कि रूस में 11 अलग-अलग तरह के समय हैं। रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा समुद्र तट है, जिसकी लंबाई 36,000 किमी है।
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क्या रूस का कारोबार प्रभावित होता है? (Why Putin Needs Ukraine)
रूस का 36000 किमी लंबे तटीय इलाके का ज्यादातर हिस्सा उत्तरी गोलार्ध में है। उत्तरी गोलार्ध में कड़ाके की सर्दी होने के चलते यहां छह माह बर्फ जमी रहती है। इससे यहां अच्छे बंदरगाह यानी पोर्ट नहीं हैं, जिससे रूस का कारोबार प्रभावित होता है। बंदरगाह के लिए गर्म पानी वाला समुद्री तट बहुत जरूरी है ताकि कारोबार सालभर हो सके।
किसके सहारे चलता है रूस का समुद्री कारोबार? (With whom does Russia’s maritime business run)
रूस अभी तुर्की के बोसस्फोरस समुद्री गलियारे के जरिए भूमध्य सागर तक पहुंचता है। नाटो में होने के बावजूद तुर्की फिलहाल रूस को समुद्री कारोबार की इजाजत देता। रूस को डर है कि कभी तुर्की से बिगड़ी तो उसके 80 फीसदी कारोबार को वह रोक सकता है। 2015 के सीरियाई युद्ध मे तुर्की ने रूस का सुखोई मार गिराया, लेकिन उसे चुप रहना पड़ा था।
रूस का यूक्रेन पर हमले की वजह क्या? (Why Putin Needs Ukraine)
- यूक्रेन का भूगोल समुद्री कारोबार के लिहाज से भी सबसे मुफीद है। यूक्रेन अपने तट काला सागर से भूमध्यसागर से जोड़ता है। भूमध्यसागर से पूरी दुनिया के लिए कारोबार का रास्ता खुलता है। यही वजह है कि ऐसे में रूस यूक्रेन के बंदरगाह से पूरे साल 24 घंटे कारोबार कर सकेगा।
- वहीं मान लीजिए अमेरिका ओर यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को नाटो की सदस्यता दे दी होती। तो ऐसे में अमेरिका यूक्रेन, रोमानिया और तुर्की को मिलाकर रूस के सभी कारोबारी रास्ते बंद कर देता। पुतिन ने इसी खतरे के लिए कहा था- यदि स्प्रिंग को ज्यादा दबाओगे तो यह खतरनाक तरीके से वापस आएगा। इसलिए रूस को डर है कि यूक्रेन अगर नाटो में गया तो रूस के लिए कारोबार के सारे रास्ते बंद हो सकते हैं।
रूस को बंदरगाह खोने का डर क्यों है?
यूक्रेन के पास क्रीमिया के क्षेत्र में सामान्य पानी वाला बंदरगाह सेवस्टोपोल था। रूस ने इस बंदरगाह का उपयोग और कारोबार करने के लिए इसे लीज पर ले रखा था। रूस को लगता है कि यदि यूक्रेन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आॅर्गनाइजेशन (नाटो) में चला गया तो उसे इस पोर्ट को खोना पड़ सकता है।
भाषाई आधार पर बंटा है यूक्रेन (Ukraine is divided on linguistic basis)
सोवियत संघ टूटने के बाद भी कई देशों का झुकाव अभी भी रूस की तरफ हैं, जबकि रोमानिया, लिथुआनिया पश्चिम देशों और नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन (नाटो) के साथ चले गए हैं। यूक्रेन का ईस्टर्न इलाका रूसी भाषा बोलने वाला है इसलिए वह रूस का सपोर्ट करता है। यूक्रेन का वेस्टर्न इलाका यूक्रेनियन भाषा बोलता है और यह पश्चिमी देशों को सपोर्ट करता है। 2010 के राष्ट्रपति चुनाव में ईस्टर्न लोगों ने रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच जिताया था। यूक्रेन की जनता के इस तरह डिवाइड होने से वह अभी भी रूस और पश्चिमी देशों के बीच में फंसा है।
क्यों यूक्रेन को क्रीमिया से हाथ धोना पड़ा था?
- यूक्रेन ने हमेशा अपने हितों को यूरोपीय यूनियन और रूस के साथ जोड़ा है। 2013 में जब ऐसा लगा कि यूक्रेन यूरोपीय यूनियन की सदस्यता लेने जा रहे हैं। तब रूस के राष्टÑपति व्लादिमीर पुतिन ने आक्रामक कार्रवाई करते हुए 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। साथ ही रूस ने क्रीमिया के सेवस्टोपोल पोर्ट को भी अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद यूक्रेन ने यूरोपीय यूनियन के साथ जाने की योजना को छोड़ दिया।
- वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद एक साक्षात्कार दिया था। इसमें पुतिन ने कहा था कि यदि आप स्प्रिंग को एक लिमिट से ज्यादा दबाते हो तो यह और खतरनाक रूप में आपके सामने आता है। आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए।
Why Putin Needs Ukraine
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