India News (इंडिया न्यूज), Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: आज पूरा देश दो महान महापुरुषों का जन्मदिन मना कर उन्हें याद कर रहा है। एक महात्मा गांधी तो दूसरे लाल बहादुर शास्त्री। अंग्रेजो की गुलामी से भारत को आजाद करने में कई महापुरुषों ने अपनी जान की बली चढ़ा दी। कुछ स्वतंत्रता सेनानी आजादी के दौरान देश के लिए न्योछावर हो गए तो कुछ आजाद भारत को देख सके। उन्ही में से एक हैं लाल बहादुर शास्त्री जी।

जिन्होंने देश के आजाद की लड़ाई में एक अमिट छाप छोड़ी है। शास्त्री जी आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। इस देश की राजनीति को भी नई दिशा दी। आज  02 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है। इस खास दिन पर हम सभी एक बार फिर से उन्हें याद कर उनके विचारों को उनकी सादगी से सीख लेते है।

लाल बहादुर शास्त्री सादा जीवन, सरल स्वभाव, ईमानदारी और दृढ़ता की मूर्ति थें। शास्त्री जी ने ही देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। लेकिन कहते हैं ना कि अक्सर बंद किताबें कई राज लिए बैठी होती है। ठीक वैसे ही लाल बहादुर शास्त्री का जीवन जितना सरल दिखता था उतना है नहीं। उनके जीवन का अंत बहुत ही रहस्यमयी ढंग से हुआ। इस खास अवसर पर जानते हैं उनके जीवन, राजनीतिक कार्यकाल और रहस्यमयी मौत से जुड़ी अनकही बातों के बारे में।

शास्त्री जी का जीवन परिचय

इस महान व्यक्ति का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ। दिन था 02 अक्टूबर 1904 । बहुत कम उम्र में उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब वो डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता चल बसे। पिता के जाने के बाद उन्होंने ननिहाल में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की। वह बचपन से ही बहुत बहादुर थे। वह 16 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़ देश की आजादी की जंग में उतर गए। जंग कभी चेहरा और उम्र नहीं देखता है। अंग्रेजों के अंधे कानून ने उन्हें 17 साल की उम्र में जेल भेज दिया था। लाल बहादुर शास्त्री एक स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही साथ ही वह एक बहुत अच्छे भारतीय राजनेता भी रहे हैं।

PM पद पर शास्त्री जी का अधूरा सफर

पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई। उनके  बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर चुने गए। 09 जून 1964 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली। लेकिन उनका ये सफर केवल डेढ़ साल के लिए ही था।
11 जनवरी 1966 को रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई थी। उनके मौत का रहस्य उनके साथ ही चला गया। अब तक यह रहस्य कायम है। लोग बताते हैं कि उनकी मौत की वजह दिल का दौरा है। लेकिन कुछ लोग यह भी कहते हैं कि जहर देकर उन्हें मारा गया।

मौत और ताशकंद की कहानी

साल 1965 की बात है जब पाकिस्तान के साथ भारत  की जंग हुई। भारत और पाकिस्तान के बीच जब यह जंग हुई तब कई बार बातचीत करने की कोशिश की गई। इस बीच एक जगह को बातचीत के लिए चुना गया। वह था ताशकंद। इस समझौते के लिए सोवितय संघ के तत्कालीन पीएम ने एलेक्सेई कोजिगिन ने पेशकश की थी। दिन 10 जनवरी 1966 रखा गया। आपको बता दें कि इस समझौते के बाद 11 जनवरी 1966 की रात रहस्यमयी परिस्थियों में शास्त्री जी की मृत पाया गया।

ईमानदारी की मिसाल

किताबों में जब उनके बारे में आप पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि वह बेहद सरल थे। शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने और इससे पहले भी वे रेल मंत्री और गृह मंत्री जैसे पद पर काबिज रह चुके हैं। वो अपना जीवन एक साधारण व्यक्ति की तरह ही जीते रहे हैं। अक्सर वह प्रधानमंत्री आवास में खेती करते थे। अपने कार्यालय से जो भत्ते और वेतन मिलते थे उससे वह अपने परिवार का गुजारा करते थे। उनसे जुड़ा एक और किस्सा बड़ा दिलचस्प है। एक बार की बात है जब शास्त्री जी के बेटे ने प्रधानमंत्री कार्यालय की गाड़ी इस्तेमाल कर ली थी। तब शास्त्री जी ने सरकारी खाते में गाड़ी के निजी इस्तेमाल का पूरा भुगतान भी किया था। जब तक वो  प्रधानमंत्री पद पर रहे तब तक  उनके पास न तो खुद का घर था और ना ही कोई संपत्ति।

शास्त्री जी के अहम कार्य

  • भारत के पहले आर्थिक सुधारक रहें।
  • परमाणु बम परियोजना की शुरुआत उन्होंने ही किया।
  • हरित और श्वेत क्रांति की शुरुआत।
  • दूध के व्यापार की मदद से देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पहुंचाना।
  • भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश का नेतृत्व।
  • शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया।

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