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चंडीगढ़ Article 240 विवाद पर केंद्र सरकार ने दी सफाई, विपक्ष के दावे को किया खारिज, गृह मंत्रालय ने जारी किया बयान

Winter Session 2025 Bill: आज हम समझेंगे की आखिर आर्टिकल 240 क्या है, जिसकी वजह से चंडीगढ़ की सियासत गर्म हो चुकी है और पंजाब इस बात से इतना नाराज क्यों है.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-11-23 15:13:15

Chandigarh Article 240 Amendment: शीतकालीन सत्र 2025 (Winter Session 2025) में केंद्र सरकार (Central Government) एक अहम बिल लाने जा रही है. जिसमें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ (Union Territory Chandigarh) को संविधान 131 अमेंडमेंट बिल 2025 के तहत के आर्टिकल 240 के दायरे में लाएंगी. अब इस पर विपक्ष ने जो दावे किए है उसे गृह मंत्रालय ने खारिज करते हुए बयान जारी किया है. आइए विस्तार से जानें पूरा मामला.

क्या है आर्टिकल 240?

लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन के अनुसार, इस बिल के पास होने के बाद, चंडीगढ़ संविधान के आर्टिकल 240 के तहत आ जाएगा. सीधे शब्दों में कहें तो, इससे राज्य को चंडीगढ़ के मामलों की देखरेख के लिए एक इंडिपेंडेंट एडमिनिस्ट्रेटर, या लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त करने की इजाज़त मिल जाएगी. अभी, पंजाब के गवर्नर ही चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर भी हैं.  यही वजह है कि BJP को छोड़कर पंजाब की सभी बड़ी पॉलिटिकल पार्टियों ने इस प्रस्तावित बदलाव का कड़ा विरोध किया है. उनका मानना ​​है कि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब की पकड़ कमज़ोर होगी और यह चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. 
बता दें कि इस आर्टिकल 240 के तहत अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा नागर हवेली और दमन दीव तथा पुड्डुचेरी भी आते है.

पंजाब इस बिल से क्यों है नाराज?

बता दें कि, चंडीगढ़ का मुद्दा हमेशा से पंजाब के लिए इमोशनल रहा है. बंटवारे से पहले, लाहौर पंजाब की राजधानी थी.  तब से चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है. 1966 में पंजाब फिर से बना, और तब से चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी रहा है. हालांकि, पहले चीफ सेक्रेटरी इंडिपेंडेंट एडमिनिस्ट्रेटर थे. 1 जून, 1984 को इसमें बदलाव हुआ. तब से, पंजाब के गवर्नर चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर रहे हैं और चीफ सेक्रेटरी UT एडमिनिस्ट्रेटर के एडवाइजर के तौर पर काम करते रहे हैं.

चंडीगढ़ पर विवाद काफी पुराना

चंडीगढ़ को लेकर विवाद नया नहीं है. यह पंजाब और हरियाणा दोनों की जॉइंट राजधानी है और दोनों राज्य इस पर अपना दावा करते हैं. पंजाब असेंबली ने कई बार चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की मांग करते हुए प्रस्ताव पास किए हैं. वहीं, हरियाणा चंडीगढ़ में नई असेंबली बिल्डिंग बनाना चाहता है. पंजाब में 131वें कॉन्स्टिट्यूशनल अमेंडमेंट बिल का विरोध हो रहा है क्योंकि पंजाब की ज़्यादातर पॉलिटिकल पार्टियों का मानना ​​है कि केंद्र सरकार इसके ज़रिए चंडीगढ़ को उनसे छीनने की कोशिश कर रही है. ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार के स्पष्टीकरण के बाद ही तस्वीर साफ होगी कि इस बिल से केंद्र सरकार का क्या इरादा है.

 

क्या है कांग्रेस और AAP के दावे?

आर्टिकल 240 प्रेसिडेंट को कुछ यूनियन टेरिटरीज़ (UTs), जैसे अंडमान और निकोबार आइलैंड्स, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली और दमन दीव, और पुडुचेरी (जब वहाँ की लेजिस्लेटिव असेंबली भंग या सस्पेंड हो) के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है। प्रेसिडेंट इन यूनियन टेरिटरीज़ की शांति, डेवलपमेंट और गुड गवर्नेंस के लिए कानून बना सकते हैं, लेकिन कांग्रेस नेता इसे चिंताजनक कदम मानते हैं. पंजाब कांग्रेस के प्रेसिडेंट अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले पर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए .उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोई भी कोशिश चिंताजनक है. इस बीच, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि अगर यह बिल पास हो जाता है तो चंडीगढ़ में एडमिनिस्ट्रेटिव नियम लागू हो जाएंगे.

होम मिनिस्ट्री ने क्या कहा?

होम मिनिस्ट्री ने कहा है कि सिर्फ़ यूनियन टेरिटरी चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार के कानून बनाने के प्रोसेस को आसान बनाने का एक प्रपोज़ल अभी केंद्र सरकार के लेवल पर विचाराधीन है. इस प्रपोज़ल पर कोई फ़ाइनल फ़ैसला नहीं लिया गया है. यह प्रपोज़ल किसी भी तरह से चंडीगढ़ के गवर्नेंस सिस्टम या पंजाब या हरियाणा के चंडीगढ़ के साथ पारंपरिक रिश्ते को नहीं बदलता है. चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए, सभी स्टेकहोल्डर्स से पूरी सलाह-मशविरा करने के बाद सही फ़ैसला लिया जाएगा. इस मुद्दे पर चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है. केंद्र सरकार का संसद के आने वाले विंटर सेशन में इस मुद्दे पर कोई बिल लाने का कोई इरादा नहीं है.

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