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India News (इंडिया न्यूज), women reservation bill : 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया। बता दें नए संसद में भवन में पेश होने वाला पहला बिल ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश कर किया। ऐसे में येस कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों सदनों मे ये बिल आसानी से पारित हो जाएगा कियोंकि दोनों ही सदनों में बीजेपी बहुमत है। ऐसे में इसे लेकर कुछ नामी जानी महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। आइए जानते हैं किसने क्या कहा?
क्या है महिला आरक्षण बिल?
महिला आरक्षण बिल एक ऐसा बिल हैं जिसे यदि लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर दिया गया तो लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। आसान भाषा में कहें तो महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। वर्तमान स्थिती का उदाहरण लिया जाए तो इस समय लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है जिसमें महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। यानी 543 में से महिलाओं की कुल संख्या केवल 78 हैं। ऐसे में यदि ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है तो महिलाओं के लिए 33 फीसदी सिटें आरक्षीत हो जाएंगी और तब महिलाओं की संख्या 181 होना अनिवार्य हो जाएगा। हालांकि ये बिल 15 साल के लिए ही लाया जा रहा है। बता दें राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 12 से 13 प्रतिशत ही है।
- अभी लोक सभा में महिलाओं की संख्या – 78
- बिल आने के बाद कितनी होगी महिलाओं की संख्या – 181
“सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं। अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल लाना था तो ये पहले ला सकते थे। ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं, जब चुनाव हैं…सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।”
“आज महिला आरक्षण बिल पेश हुआ और PM मोदी ने इसपर चर्चा की। बहुत समय से महिला आरक्षण बिल की प्रतीक्षा थी, आज यह प्रतीक्षा समाप्त हुई।”
महिला आरक्षण बिल पर CPM नेता वृंदा करात
“यह बिल सुनिश्चित करता है कि अगले परिसीमन अभ्यास तक महिलाएं चुनाव से वंचित रहें। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 2024 के चुनावों और 18वीं लोकसभा के गठन तक संसद में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी, कई विधानसभा चुनावों में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी… क्या महिलाओं को मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल के लिए आभारी होना चाहिए? मैं कहूंगी कि बिल्कुल भी नहीं।”
“मैं उम्मीद करती हूं कि यह तुरंत लागू होगा लेकिन बिल में यह लिखा है कि यह परिसीमन के बाद ही लागू होगा। इसका यह मतलब हुआ कि यह आरक्षण 2029 तक लागू नहीं हो सकता। आपने दरवाजे तो खोल दिए हैं लेकिन दरवाजों पर महिलाओं के लिए अभी भी ‘नो एंट्री’ है।”
महिला आरक्षण बिल पर PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती
“NDA की सरकार को 10 साल होने वाले हैं। अगर उन्होंने यह पहले ही किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादाद में भाग लेने का मौका मिलता। लेकिन देर आए, दुरुस्त आए, अच्छी बात है… देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा।”
“हमारी सरकार महिला नेतृत्व विकास की बात करती है। सिर्फ महिलाओं का सशक्तिकरण हो यह हमारी सोच नहीं होनी चाहिए लेकिन महिलाएं आगे बढ़कर कैसे नेतृत्व कर देश के विकास में कैसे भागीदार बनें यह भी जरूरी है… महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे और देश हित में जो फैसले होते हैं, कानून बनते हैं, उन चर्चाओं में योगदान दें और अपना अनुभव साझा करें।”
महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
“वर्षों से महिलाओं के इस राजनीतिक संघर्ष को अपना संकल्प बनाकर वो (पीएम मोदी) सिद्धि तक ले जाने वाले हैं। आज ‘नारी शक्ति वंदन’ बिल जो लोकसभा में पेश हुआ वो हमारी महिला शक्ति हमारे राष्ट्र की नेतृत्व शक्ति बने उसको परिभाषित करेगा।”
“भारत की महिलाओं के लिए यह एतिहासिक पल है और जो भी संसद में महिला प्रतिनिधि आएंगी उनके लिए यह बहुत ही प्रोत्साहन की बात है और महिलाओं को जो भी परेशानी आती हैं उस लिहाज से भी यह बड़ी बात है।”
“आपको यह बिल लाने में 9.5 साल क्यों लग गए? क्या यह 2014 में एक मील का पत्थर नहीं लग रहा था? आपको लग रहा है कि शायद महिला आरक्षण से चुनाव में आपको कुछ राहत मिल जाएगी। यह कांग्रेस का बिल था जो आज सदन में रखा गया। हम इसका स्वागत करते हैं। कांग्रेस पहले से चाह रही थी कि महिलाओं को सदन में आरक्षण मिले।”
“आज भारत की हर महिला इस बिल के पेश होने से बहुत खुश है। यह प्रधानमंत्री मोदी की दुर्गामी सोच का परिचायक है…इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि यह लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राज्यसभा और राजनीतिक पार्टियों में भी यह लागू होगा।”
“आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नए संसद भवन में प्रवेश के साथ ही हम एक ऐतिहासिक याद लेकर जाएंगे। आज का दिन ऐतिहासिक भी है और हमारे लिए यादगार भी रहेगा।”
“इस बिल को कांग्रेस पार्टी ला रही थी और लोकसभा में पास भी हुआ था लेकिन वर्तमान की सरकार, जो उस समय विपक्ष में थी, रोक दिया था। हम चाहते हैं कि यह सरकार उदारता से और सभी पक्षों की सहमती से इस एतिहासिक बिल को पास करे। इसमें योग्य महिलाओं को ही सीट दी जाए। ऐसा ना हो कि अगर पति मुख्यमंत्री है तो उसकी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया जाए।”
“अभी भी पुरुषवादी लोग अहम् में महिलाओं को पीछे कर देते हैं… महिलाएं सिर्फ राजनीतिक पार्टी में डंडे, झंडा, कुर्सी उठाने के लिए नहीं है। महिलाओं को भी टिकट मिलना चाहिए। फिल्म की हिरोइन, जिन्होंने कभी संघर्ष नहीं किया…. उनको क्यों लोकसभा या राज्यसभा में भेजा जाता है? हमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देखकर खुशी होती है। हमें इससे मतलब नहीं कि वे किस समाज या समुदाय से आई हैं। हमारी राष्ट्रपति महिला हैं उसी से हमें गर्व होता है।”
टाइम लाइन के जरिए जानिए कब क्या हुआ?
1996
- सबसे पहली बार 1996 में महिला आरक्षण बिल संसद के पटल पर रखा गया था, उस समय एचडी देवगौड़ा पीएम थे। उस दौरान कई बार कोशिश हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई।
1997
- संशोधित महिला आरक्षण बिल 1997 में पेश किया गया, लेकिन तीन यादवों (मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और शरद यादव) इसके रास्ते में बाधा बनकर खड़े हो गए।
1998 और 1999
- फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 और 1999 में भी बिल पेश किया लेकिन विपक्ष, विशेषकर सपा और आरजेडी के विरोध के कारण यह पास नहीं हुआ।
2002 और 2003
- एनडीए सरकार ने 2002 में एक बार और 2003 में दो बार बिल पेश किया, लेकिन बहुमत होने के बावजूद बिल पास नहीं करवाया जा सका।
2010
- 2010 में भी यह बिल राज्यसभा से पास हो गया था, लेकिन लोकसभा में यह अटक गया था।
2017
- 2017 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखा था।
2023
- 2023 संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने एक अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल को अपनी मंजूरी दी और लोकसभा में पेश किया गया।
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