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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
World Tuberculosis Day 2022 आज विश्व क्षय रोग दिवस यानी ट्यूबरकुलोसिस डे (tuberculosis day) है। इस अवसर हम आपको बता रहे हैं किस तरह यह रोग मनुष्य के लिए जानलेवा बन जाता है और हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक क्षय रोग महिलाओं के बांझपन (female infertility) का भी बड़ा कारण है। इस रोग के कारण बैक्टीरिया महिलाओं को मां बनने के सुख से वंचित कर रहे हैं।
महिलाएं उदर क्षेत्र (पेल्विक) के दर्द को नॉर्मल समझती हैं, लेकिन असल में यह टीबी के कारण भी हो सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) के चेस्ट-गायनी विभाग के अध्ययन (Study) में यह बात कही गई है। है।
डॉक्टरों ने अध्ययन के दौरान 20-30, 31-40 और 40 से ऊपर की उम्र की महिलाओं के तीन ग्रुप बनाए। इनमें 70 शादीशुदा व 20 कुंवारी महिलाओं को शामिल किया गया। ग्रुपों में 51 प्रतिशत ग्रामीण और 49 प्रतिशत शहरी क्षेत्र की महिलाएं शामिल रहीं। स्टडी के दौरान पाया गया कि सभी महिलाओं को पेल्विक पैन हो रही थी, लेकिन वे इसे नॉर्मल मानकर टाल रही थीं। दर्द जब बढ़ने लगा तो विशेषज्ञों के पास ये महिलाएं इलाज के लिए पहुंचीं।
पेल्विक दर्द की समस्या को लेकर महिलाएं जब डॉक्टरों के पास पहुंची तो विशेषज्ञों ने उन सभी के ब्लड टेस्ट के अलावा हिस्टोपैथोलॉजिकल व सीबीनॉट टेस्ट करवाए। रिपोर्ट में पाया गया कि इनमें से ज्यादातर महिलाओं को जेनिटल टीबी हो गई है। 64.3 प्रतिशत महिलाओं में टीबी के कारण बांझपन सामने आया। अध्ययन के दौरान फेलोपिन ट्यूब भी नियमित नहीं पाई गई। वह भी अनियमित थी। और इन महिलाओं में स्त्री रोग तो 68 प्रतिशत तक मिले।
जीएसवीएम चेस्ट विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ.सुधीर चौधरी ने बताया कि लोग अक्सर टीबी को फेफड़ों से जोड़ देते हैं, पर अध्ययन की रिपोर्ट कहती हैं कि जेनिटल टीबी महिलाओं को मातृत्व सुख देने में बाधा बन रहा है। इस तरह पेल्विक दर्द की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है ,क्योंकि एक बार बांझपन होने से मल्टीपल स्त्री रोग होते हैं। भविष्य में भी इस वजह से दिक्कतें बढ़ती हैं और लंबे समय तक इलाज करवाना पड़ता है।
जीएसवीएम चेस्ट विभाग के चिकित्सक आनंद कुमार का कहना है कि अध्ययन के सहारे महिलाओं को अलर्ट होना होगा। उन्होंने कहा कि पेल्विक दर्द को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हर वर्ग की महिलाओं में इस तरह की टीबी रोग से मातृत्व सुख से वंचित होने के मामले मिल चुके हैं।
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टीबी को अंग्रजी में ट्यूबरकुलोसिस और आम भाषा में तपेदिक या इसे क्षय रोग से पहचाना जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो ज्यादातर फेफड़ों पर असर करता है। माना जाता है कि यह किडनी, दिमाग व रीढ़, जैसे शारीरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की वजह से होता है। हवा में रोगाणु फैलकर ये खासकर फेफड़ों को संक्रमित करते हैं। शरीर के अन्य भागों को भी ये संक्रमित कर सकते हैं। ये रोग संक्रामक है, पर इतनी आसानी से नहीं फैलता है। टीबी पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने, गाने, बात करने अथवा हंसने से यह हवा में छोड़े गए कीटाणुओं से फैलता है।
कुपोषित लोग इस जीवाणु के आसान शिकार होते है।
एचआईवी संक्रमित मरीजों में टीबी की संभावना ज्यादा रहती है।
रोग प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे लोगों को खतरा।
जिन लोगों का आॅर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो।
शराब पीने वाले 7.4 व सिगरेट पीने वाले 7.3 लाख लोगों को खतरा।
खांसी खून या थूक (बलगम)
भूख में कमी
खांसी (2 सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली)
सीने में दर्द
वजन घटना
थकान या कमजोरी
World Tuberculosis Day 2022
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