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India News (इंडिया न्यूज), Israel Strikes on Syria: तख्तापलट के बाद से सीरिया में लगातार नए घटनाक्रम हो रहे हैं। देश के एक बड़े हिस्से पर विद्रोहियों का कब्जा है। लेकिन अमेरिका के साथ तुर्की भी सीरिया को लेकर अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। लेकिन इजराइल लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है। सीरिया में बशर अल-असद की सरकार गिरने के बाद हजारों सीरियाई सैनिक इराकी सीमा में घुस आए हैं। इराकी सुरक्षा बल उनकी मेजबानी कर रहे हैं। सीरिया से सटे इराक ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सीरियाई सेना आईडीएफ का कहना है कि उसने पिछले 48 घंटों में सीरिया में 480 से ज्यादा हमले किए हैं। सीरिया के कई शहरों में हथियार डिपो और एंटी-एयरक्राफ्ट बैटरी उत्पादन स्थलों पर ताबड़तोड़ हमले किए गए हैं।
इजरायली सेना आईडीएफ का कहना है कि हमारी वायुसेना ने सीरिया के रणनीतिक हथियार भंडारण पर 350 हमले किए हैं। दमिश्क, होम्स, टार्टस, लताकिया और पलमायरा में बड़े पैमाने पर एंटी-एयरक्राफ्ट बैटरियां, मिसाइलें, ड्रोन, फाइटर जेट और टैंक नष्ट किए गए। इसके साथ ही ग्राउंड ऑपरेशन के तहत 130 अतिरिक्त हवाई हमले किए गए। इजरायली रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सेना ने सीरियाई नौसैनिक बेड़े को भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। सेना का अनुमान है कि उन्होंने बशर अल-असद के 80 प्रतिशत सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया है। इजरायल ने इस ऑपरेशन को बशान एरो नाम दिया है।
सीरिया पर अल-कायदा से जुड़े सुन्नी विद्रोही समूह एचटीएस ने कब्जा कर लिया है। बशर के रूस भाग जाने के बाद इजरायल ने सीरियाई सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। सिर्फ हवाई हमले ही नहीं बल्कि इजरायली सेना जमीनी स्तर पर सीरियाई सीमा के अंदर भी घुसी। 1994 के समझौते के बाद यह पहला मौका है जब इजरायली सेना ने सीरियाई जमीन पर कदम रखा है। इजरायली सेना ने गोलान हाइट्स के 10 किलोमीटर अंदर सीरियाई जमीन पर कब्जा करके बफर जोन भी बनाया है। ऐसे में कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि इजरायल ने सीरियाई इलाकों पर कब्जे की योजना बनाई है और वह बहुत जल्द इस योजना को अंजाम देने वाला है।
सीरिया में कुर्द बहुल सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) पूर्वी सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा किए हुए है। अमेरिका समर्थित इस समूह की स्थापना 10 अक्टूबर 2015 को हुई थी। एसडीएफ का कहना है कि इसका उद्देश्य सीरिया को धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और संघीय बनाना है। तुर्की एक तरह से एसडीएफ का कट्टर विरोधी है। तुर्की का कहना है कि एसडीएफ का सीधा संबंध पीकेके से है, जिसे वह आतंकवादी संगठन मानता है।
हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) और उसके सहयोगी समूहों के विद्रोह के बाद ही बशर अल-असद को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यह अल नुसरा फ्रंट का मौजूदा स्वरूप है। यह इदरीस और अलेप्पो समेत देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है। इन समूहों को तुर्की का समर्थन प्राप्त है। अब इसका मध्य सीरिया पर पूरा प्रभुत्व है। जो उत्तरी सीमा पर तुर्की सीमा से लेकर दक्षिणी सीमा पर जॉर्डन सीमा तक फैला हुआ है।
सीरियाई राष्ट्रीय सेना उत्तरी सीरिया पर हावी है। यह तुर्की द्वारा समर्थित विद्रोही समूह है। यह समूह 2011 के विद्रोह के बाद असद की सेना से अलग हो गया था। देश के एक बड़े हिस्से पर उत्तर-पश्चिमी सीरिया में बशर अल-असद के सुरक्षा बलों का कब्ज़ा है। असद समर्थित अलावी सेनाएँ मुख्य रूप से पश्चिमी सीरिया के तटीय इलाकों में हैं। अलावी सेना के ईरान, इराक और लेबनान के हिज़्बुल्लाह समूह के साथ मज़बूत संबंध हैं। इन इलाकों को असद समर्थित समूहों का गढ़ कहा जा सकता है। ऐसे में सीरिया के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी। माना जा रहा है कि ये छोटे गुट विद्रोही सुर भी अपना सकते हैं।
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