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India News (इंडिया न्यूज), khalil Ur Rahman Haqqani Killed : अफगानिस्तान में तालिबान को तगड़ा झटका लगा है। एक आत्मघाती हमले में तालिबान सरकार के रिफ्यूजी मिनिस्टर खलील उर-रहमान हक्कानी और दो अन्य लोगों की मौत हो गई है। हैरान करने वाली बात ये है कि हमला मंत्रालय के अंदर हुआ है। राजधानी काबुल में बुधवार को आत्मघाती हमले में खलील उर-रहमान हक्कानी के मारे जाने से तालिबान को गहरी चोट लगी है। तीन साल पहले काबुल की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान पर पहली बार किसी बड़े नेता को निशाना बनाया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि खलील हक्कानी तालिबान सरकार के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा थे। जानकारों के मुताबिक सिराजुद्दीन को तालिबान की रीढ़ बताया जाता है।
राजधानी में हुए इस आत्मघाती हमले की फिलहाल किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। वहीं तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक्स पर पोस्ट किया, हक्कानी की मौत बहुत बड़ी क्षति है। वे एक योद्धा थे, जिन्होंने अपना जीवन इस्लाम की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।
अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से ही तालिबान अपना स्वरूप बदलकर शांति की बात कर रहा है. पूरी दुनिया से अपनी सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिश में जुटा है। वहीं विल्सन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के माइकल कुगेलमैन के अनुसार, हक्कानी की मौत तालिबान के लिए सबसे बड़ा झटका है। क्योंकि वे एक प्रभावशाली नेता थे।
इसके अलावा खलील उर-रहमान हक्कानी के मारे जाने पर पाकिस्तान की प्रक्रिया भी सामने आई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे आतंकवादी हमला बताया. डार ने कहा, पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है। हम काबुल के साथ संपर्क में हैं, कहा जा रहा है कि हक्कानी पाकिस्तान से काफी नाराज थे।
इस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान के लिए सबसे बढ़ा सिरदर्द इस्लामिक स्टेट बना हुआ है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही IS पूरे अफगानिस्तान में हमले कर रहा है। सितंबर की शुरुआत में उसके आत्मघाती हमलावर ने दक्षिण-पश्चिमी काबुल में छह लोगों को बम से उड़ा दिया था और 13 लोगों को घायल कर दिया था। जानकारों के मुताबिक पहले की तुलना में काबुल में आत्मघाती हमले कम हुए हैं। लेकिन शिया मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अभी भी निशाना बनाया जा रहा है।
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