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जनता के विरोध प्रदर्शन से डरता हैं तो 'जिनपिंग' सेक्स वीडियोज को आगे करता है, पोर्न से सड़क पर उतरे लोगों को वापस भेजने में जुटा ड्रैगन

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : November 28, 2022, 8:36 pm IST
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : चीन के शिनजियांग प्रांत में गुरुवार यानि 24 नवंबर, 2022 को वहां की वामपंथी सरकार द्वारा थोपे गए लॉकडाउन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। अब ये प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुका है। चीन में जिनपिंग के खिलाफ प्रदर्शन की खबरों ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इस विरोध की खबरों और वीडियो व फोटोज को दुनिया भर में फैलने से रोकने के लिए ट्विटर पर चीनी भाषा में बने ट्विटर हैंडल्स के जरिए ‘पॉर्न’ परोस रही है।
जानकारी दें, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नहीं चाहती है कि विरोध की खबरें दुनिया भर में प्रसारित हों। इसलिए, बीते कई महीनों या सालों से बंद पड़े ट्विटर अकाउंट्स के जरिए शहरों के नाम के साथ एस्कॉर्ट्स सर्विस और एडल्ट्स ऑफरिंग के लिंक्स शेयर किए जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि, सरककर विरोधी प्रदर्शन छुपाने के लिए सिर्फ पुराने अकाउंट्स का ही यूज नहीं किया जा रहा है बल्कि हजारों की संख्या में ऐसे ट्विटर अकाउंट हैं जो नवंबर में बने हैं। आपको बता दें, सेक्स वीडियो परोसने का पहला ट्वीट 24 नवंबर के बाद यानी विरोध शुरू होने के बाद से ही किया गया है।बड़ी बात यह है कि इनमें अधिकांश अकाउंट चीनी भाषा में बने हुए हैं। ट्विटर पर जब शहरों का नाम या हैशटैग के साथ शहरों का नाम सर्च किया जा रहा है तो सेक्स के लिए लुभाने वाले फोटो, वीडियो दिखाई दे रहे हैं। कुछ वीडियो में तो फोन नंबर तक दिए गए हैं। हालाँकि, ट्वीट का टेक्स्ट अंग्रेजी में है।

आप जब चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई को (चाइनीज में # 上海) ट्विटर पर सर्च करेंगे तो आपको ऐसे हजारों वीडियो और फोटो देखने को मिलेंगे जिसमें एडल्ट्स ऑफरिंग की बात कही गई है। जानकरी दें, इन अकाउंट्स में से कुछ के द्वारा एक घण्टे में 100 ट्वीट तो कुछ में बीते कुछ घण्टों में ही 500 से अधिक ट्वीट किए जा रहे हैं।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ट्विटर पर जो कर रही है उसे यदि तकनीकी भाषा में समझें तो यह स्पैमिंग का कमाल है, जिसमें किसी एक शब्द या की-वर्ड को लेकर हजारों ट्वीट किए जाते हैं। जिसके बाद, जब कोई यूजर उस बारे में सर्च करता है तो उसे वास्तविक कंटेंट मिलने की जगह वो दिखाई देता है जो स्पैमर्स चाहते हैं।

जानकारी दें, ट्विटर की एंटी प्रोपेगैंडा टीम ऐसे ट्वीटस और फेक कंटेंट्स को हटाने में लगी है। लेकिन, एलन मस्क के आने बाद से ट्विटर में बड़े स्तर पर हुई छँटनी और इस्तीफे के बाद ट्विटर में कर्मचारियों की संख्या मात्र 2000 के आसपास रह गई है। इसलिए, ट्विटर को चीन के प्रोपेगैंडा कंटेंट हटाने में अधिक टाइम भी लग रहा है।

पोर्न दिखाकर जनता से निपटेंगे जिनपिंग

विरोध प्रदर्शन को ढँकने के लिए ट्विटर पर छाए पॉर्न को लेकर अमेरिकी सरकार के एक कॉन्ट्रैक्टर और चाइना मामलों एक्सपर्ट ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा, “50% पोर्न और 50 प्रतिशत विरोध प्रदर्शन दिखाई दे रहा है। दिन में पोस्ट देखने पर मुझे फीड में मैंने 3-4 बार स्क्रॉल किया। लेकिन, ज्यादातर बार मुझे पॉर्न ही दिखाई दिया।”
यही नहीं, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चायनीज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विरोध प्रदर्शन से जुड़े से कंटेंट पर भी रोक लगा दी है। चीनी सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से रैलियों से जुड़ी की खबरों को भी हटा दिया है । साथ ही, विरोध प्रदर्शन का गढ़ बन चुके ‘Liangma River’ और ‘Urumqi Road’ जैसे शब्दों के रिफरेंस सर्च को चीन के सोशल मीडिया ऐप बीवो से हटा दिया है। ये दोनों ही शब्द बीजिंग और संघाई की लोकेशन के लिए उपयोग किए जाते हैं।

ये है चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का विरोध

जानकारी दें, गुरुवार को चीन के शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में स्थित 21 मंजिला इमारत में आग लग गई थी, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी। यह आग इतनी भीषण थी कि इसे बुझाने में तीन घंटे का समय लग गया। जब इस इमारत में आग लगी, तब वहाँ कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था।

 

राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के कारण लोगों को आवाजाही की मनाही थी। यहाँ तक कि सरकारी मशीनरी भी किसी प्रकार का काम नहीं कर रही थी। लोगों का आरोप है कि घटना के बाद लॉकडाउन के कारण यहाँ राहत कार्य शुरू होने में देरी हुई और 10 लोग जिंदा जल गए। इसके अगले ही दिन लोग सड़कों पर उतर आए और अब चीन विरोध की आग में जलता दिखाई दे रहा है।

चीन में आखिरी बार साल 1989 में हुआ था सबसे बड़ा विद्रोह 

वास्तव में, चीन में कोई भी बड़ा विरोध प्रदर्शन आखिरी बार साल 1989 में देखा गया था। हालाँकि, तब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने तियानमेन चौक में करीब 10 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद से चीन में रहने वाले लोग विरोध प्रदर्शन करना तो दूर तानाशाह सरकार के खिलाफ बोलने से भी कतराते रहे हैं।

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