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बांग्लादेश से निकाले जाने के बाद Sheikh Hasina ने तोड़ी चुप्पी, पहली बार में कह दी इतनी बड़ी बात

BY: Shalu Mishra • LAST UPDATED : August 11, 2024, 1:46 pm IST
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बांग्लादेश से निकाले जाने के बाद Sheikh Hasina ने तोड़ी चुप्पी, पहली बार में कह दी इतनी बड़ी बात

हसीना की तैयारी

India News(इंडिया न्यूज), Bangladesh: बांग्लादेश की दशा पूरा विश्व देख रहा है। वहां की आम जनता से लेकर पीएम तक पर बड़ी मुसीबत आन पड़ी है। बता दें कि शेख हसीना ने बांग्लादेश ने निकाले जाने के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ी है। इस बीच उन्होंने बताया कि उनको पीएम पद से हटाने के लिए पूरा नाटक रचा गया है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़ दिया था। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं पूरी जानकारी।

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शेख हसीना का बयान 

शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजे गए संदेश में ये बातें कही हैं। हसीना का यह संदेश इकोनॉमिक टाइम्स को मिला है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़ दिया था। वह फिलहाल भारत में सुरक्षित जगह पर रह रही हैं।

संदेश में हसीना ने कहा, ‘मैंने इसलिए इस्तीफा दिया ताकि मुझे लाशों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता छोड़ दी होती और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने दिया होता। मैं अपने देश के लोगों से अनुरोध करती हूं कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।’

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मुझे सत्ता से हटाने के लिए रची साजिश 

विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने विरोध प्रदर्शन के पीछे विदेशी हस्तक्षेप का दावा किया था। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के लिए आंतरिक कारक जिम्मेदार हैं। हसीना सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को और हवा दी। “मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, छात्र जो किसी विशेष मुद्दे से नाखुश थे, नौकरी कोटा जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार से नाराज थे।

शेख हसीना की सरकार ने छात्रों पर बहुत कठोर कार्रवाई की और उसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था,” कुगेलमैन ने कहा।

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