इंडिया न्यूज़: (Marburg Virus) कोरोना वायरस महामारी के बाद अब एक नए वायरस मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) ने चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि इस खतरनाक वायरस से अफ्रीका में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है और अन्य 16 संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है। यह वायरस जानलेवा इबोला (Ebola) से मिलता-जुलता बताया जा रहा है। वहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने हाल ही में सेंट्रल अफ्रीका के एक छोटे देश इक्वेटोरियल गिनी देश में इस वायरस की पुष्टि की गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि यह वायरस काफी घातक है। अगर इसका इलाज न कराया जाए, तो 88 प्रतिशत लोगों के लिए घातक हो सकता है। तो यहां जानिए इस खतरनाक वायरस के बारे में जानकारी, इसके लक्षण और इससे किस तरह से बचा जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि मारबर्ग वायरस फल खाने वाले अफ्रीकी चमगादड़ों में पैदा हुआ था। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, युगांडा से आयात किए गए हरे बंदरों के साथ काम करने वाले लोगों के बीच पहली बार 1967 में जर्मनी और पूर्व यूगोस्लाविया में इसकी पहचान की गई थी।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जिस जगह पर चमगादड़ पाए जाते है उन जगहों पर इस वायरस का खतरा सबसे ज्यादा होता हैं। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से, वायरस से दूषित सतहों जैसे कि कपड़े या चादर के जरिए मनुष्यों के बीच फैलता है।
वर्तमान समय में मारबर्ग के लिए कोई वैक्सीन नहीं बना है और इसका इलाज करने के लिए कोई दवा या इलाज भी नहीं है। लेकिन मरीजों की मदद की जा सकती है। हालांकि लक्षणों को कम करने के लिए मरीज की देखभाल जरूरी है। मरीज को खूब तरल पदार्थ दें और इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें। इससे मौत का जोखिम काफी हद तक हो सकता है।
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