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India News (इंडिया न्यूज), Arab and Islamic Countries Conference: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को जीत मिली है। जनवरी 2025 को वो राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। लेकिन इससे पहले ही मुस्लिम देश इकट्ठा हुए हैं। दरअसल, खाड़ी क्षेत्र में चल रहे संघर्ष के बीच सोमवार को सऊदी अरब में एक महत्वपूर्ण अरब-इस्लामिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया। हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन इस बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके। सम्मेलन का मुख्य एजेंडा इजरायल के खिलाफ सभी देशों को एकजुट करना था। सऊदी अरब समेत कई देशों ने इजरायल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इजरायल पर सऊदी अरब का गुस्सा फूटा।
सम्मेलन में पहली बार सभी इस्लामिक देशों ने लेबनान, गाजा, फिलिस्तीन में इजरायल की हरकतों के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठाई है। साथ ही सभी देशों ने इजरायल के हमलों को तुरंत रोकने की अपील भी की है। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दो टूक कहा कि सऊदी अरब इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों के नरसंहार की निंदा करता है। इजरायल को अपनी कार्रवाई तुरंत रोकनी चाहिए। प्रिंस सलमान ने कहा कि फिलिस्तीन एक स्वतंत्र देश है और उसे स्वतंत्र देश का दर्जा मिलना चाहिए।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने शिखर सम्मेलन में कहा कि जिस तरह मुस्लिम देशों को एकजुट होकर गाजा में हो रहे ‘नरसंहार’ की आलोचना करनी चाहिए, वैसा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश इजरायल का पूरा समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम देश एकजुट नहीं हैं, इसीलिए गाजा की यह हालत है। इसके अलावा सम्मेलन में यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद का मुद्दा भी उठाया गया। मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि इजरायल बार-बार अल अक्सा मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघन कर रहा है।
सम्मेलन में 33 सूत्री मसौदा भी पेश किया गया। इस मसौदे में फिलिस्तीन के प्रति समर्थन जताया गया है। साथ ही लेबनान, ईरान, इराक और सीरिया की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की गई है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल-गाजा संघर्ष को खत्म करने की अपील की गई है। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र से फिलिस्तीन की समस्याओं को सुलझाने पर भी जोर दिया गया। साथ ही सभी देशों से गाजा में युद्धविराम और वहां के लोगों की मदद करने की अपील की गई।
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