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India News (इंडिया न्यूज), Zimbabwe Brave Boy: जिम्बाब्वे के जंगलों से एक बहादुरी की कहानी सामने आई है और यह एक 7 या 8 साल के बच्चे से जुड़ा है। दरअसल, हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, जिम्बाब्वे के जंगलों में बसे एक गांव में 7 या 8 साल का एक प्यारा सा बच्चा रहता था। उसका नाम था टिनोटेंडा पुंडू। उसने ऐसा काम किया है, जिसकी वजह से उसकी तुलना बेयर ग्रिल्स से हो रही है। टिनोटेंडा पुंडू उत्तरी जिम्बाब्वे के एक गांव में रहता था। एक दिन वो अपने गांव से भटककर घने जंगलों में चला गया। 8 साल का बच्चा, न तो रास्ता जानता था और न ही उसकी मदद करने वाला कोई था। पुंडू भटकता-भटकता जंगल के बीचों-बीच पहुंच गया। अब संयोग देखिए, ये जंगल नहीं बल्कि शेरों का अभ्यारण्य था।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पुंडू 27 दिसंबर को अपने गांव से लापता हो गया था। यहां उसके ग्रामीण ढोल बजाकर उसकी तलाश कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि आवाज सुनकर पुंडू आवाज की दिशा में आएगा और उसे ढूंढ लिया जाएगा। लेकिन ग्रामीणों का यह प्रयास विफल रहा। दरअसल, 8 वर्षीय पुंडू अपने गांव से 50 किलोमीटर दूर भटक गया था। जबकि ग्रामीण उसे आस-पास ही ढूंढ रहे थे। एक-दो दिन बाद पुंडू को भूख लगने लगी और उसने जंगली फल खाने शुरू कर दिए। इस फल को जिम्बाब्वे में (त्सवान्ज़वा) के नाम से जाना जाता है।
💫 A boy missing & found in Matusadonha game park
A true miracle in remote Kasvisva community, Nyaminyami in rural Kariba, a community where one wrong turn could easily lead into a game park. 8-year-old Tinotenda Pudu wandered away, lost direction & unknowingly headed into the… pic.twitter.com/z19BLffTZW
— Mutsa Murombedzi MP🇿🇼 (@mutsamu) January 1, 2025
बताया जा रहा है कि, 8 साल के इस बच्चे की जिंदा रहने की जद्दोजहद माटुसाडोना नेशनल पार्क से शुरू हुई, जो शेरों से भरा हुआ था और जानलेवा हालात में था। पुंडू का गांव सूखे से प्रभावित है। गांव में पुंडू को न सिर्फ पानी के लिए जमीन खोदना सिखाया गया, बल्कि उसे गीली जमीन की पहचान करना भी सिखाया गया। यह सीख पुंडू के लिए बहुत काम आई। उसने जंगल में नदी के किनारे डंडे की मदद से खुदाई शुरू कर दी। उससे निकलने वाले पानी से वह अपनी प्यास बुझाने लगा और ज़िंदा रहने लगा।
पुंडू की होशियारी का वर्णन करते हुए स्थानीय सांसद कहते हैं कि वह इतना होशियार था कि वह ऊंची चट्टानों पर सोता था ताकि शेर और दूसरे जंगली जानवर उस तक न पहुंच सकें।’ पांच दिन बाद टिनोटेंडा ने पार्क रेंजर की कार की आवाज सुनी और उसकी ओर दौड़े, लेकिन जब तक वे वहां पहुंचे, कार जा चुकी थी। शुक्र है कि रेंजर्स बाद में वापस लौटे और उन्होंने बच्चे के आकार के पैरों के निशान देखे और जल्द ही उसे ढूंढ निकाला। स्थानीय मीडिया के अनुसार, उसे अस्पताल ले जाया गया और ड्रिप लगाई गई। बता दें कि, जिम्बाब्वे का माटुसाडोना नेशनल पार्क कई जंगली जानवरों का घर है, जिनमें शेर, तेंदुए, हाथी और भैंस शामिल हैं।
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