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India News (इंडिया न्यूज), What Is Arakan Army: अराकान आर्मी अराकान आर्मी ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार की नींद उड़ा दी है, इस संगठन ने टेकनाफ इलाके के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। म्यांमार का उग्रवादी संगठन अराकान आर्मी (AA) पहले भी भारत को टेंशन दे चुका है। 2021 में तख्तापलट के बाद म्यांमार में अलग-अलग विद्रोही समूह सक्रिय हैं। सेना के खिलाफ मोर्चा संभालने वालों में अराकान आर्मी भी शामिल है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, म्यांमार के रखाइन और चिन जैसे प्रांतों में अराकान आर्मी की मजबूत पकड़ है।
जानकारी के अनुसार, अराकान आर्मी का गठन 2009 में म्यांमार के रखाइन समुदाय के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व पूर्व छात्र कार्यकर्ता ट्वान मरत नैंग ने किया था। उन्होंने उत्तरी म्यांमार में काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) के साथ शरण ली थी। अराकान आर्मी ने सबसे पहले काचिन प्रांत की जेड खदानों में काम करने वाले लोगों को अपने संगठन का हिस्सा बनाया। रखाइन में घुसपैठ करने से पहले उन्होंने शान प्रांत में KIA और अन्य उग्रवादी समूहों के साथ म्यांमार सेना के खिलाफ लड़ाई का अनुभव हासिल किया। अराकान आर्मी के इस दावे से भारत और बांग्लादेश की टेंशन बढ़ सकती है। दरअसल उन्होंने दावा किया है कि, उसके पास 30 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। अगर हम स्वतंत्र विश्लेषकों की मानें तो उसके लड़ाकों की संख्या 20 हजार के आसपास हो सकती है।
फरवरी 2021 में जब सेना ने आंग सान सू की सरकार को उखाड़ फेंका तो अराकान आर्मी ने इसकी निंदा की, लेकिन तुरंत हथियार नहीं उठाए। इसके बाद करीब 2 साल तक अराकान आर्मी ने राजनीतिक विंग के ज़रिए अपनी प्रशासनिक पैठ बनानी शुरू कर दी। यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान (ULA) ने कोरोना महामारी के दौरान म्यांमार में टीकाकरण अभियान चलाया। नवंबर 2023 में थ्री ब्रदरहुड अलायंस के हिस्से के रूप में अराकान आर्मी ने शान स्टेट के विद्रोही समूहों के साथ मिलकर सेना के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर हमला किया। कुछ ही महीनों में अराकान आर्मी ने रखाइन और चिन स्टेट के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर कब्जा कर लिया।
म्यांमार के रखाइन स्टेट के करीब 80 प्रतिशत हिस्से पर अराकान आर्मी का कब्ज़ा है और यह इलाका भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी बहुत अहम है। म्यांमार की सैन्य सरकार जुंटा ने म्यांमार और बांग्लादेश को अलग करने वाले करीब 270 किलोमीटर के सीमा क्षेत्र पर नियंत्रण खो दिया है।
इससे पहले जनवरी में उसने म्यांमार सेना के लिए अहम माने जाने वाले चिन प्रांत के पलेतवा शहर पर कब्जा कर लिया था, जो भारत-बांग्लादेश सीमा के करीब स्थित है और इस शहर में करोड़ों डॉलर की परियोजनाएं चल रही हैं। जिनका भारत समर्थन करता है। इन परियोजनाओं के जरिए भारत और म्यांमार के इलाकों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा म्यांमार के चिन प्रांत और भारत के मिजोरम के बीच 510 किलोमीटर की सीमा है। जब म्यांमार के इस इलाके में सेना और विद्रोहियों के बीच टकराव होता है तो बड़ी संख्या में शरणार्थी मिजोरम में शरण लेते हैं। मार्च 2022 के आंकड़ों के मुताबिक म्यांमार के 31 हजार से ज्यादा शरणार्थी मिजोरम में रह रहे थे और ये सभी चिन प्रांत से आए थे, इसलिए इस क्षेत्र में बढ़ता संघर्ष भारत की चिंताएं भी बढ़ाता है।
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