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India News (इंडिया न्यूज),Bangladeh: शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग को हो रहा है। 55 अरब डॉलर का सालाना कारोबार गहरे संकट से जूझ रहा है, हालात ऐसे हैं कि कई कंपनियों के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पिछले तीन दशकों में कपड़ा उद्योग के बल पर बांग्लादेश की छवि और तकदीर बदल रही थी। जारा जैसे कई मशहूर ब्रांड के कपड़े बांग्लादेशी फैक्ट्रियों में बनते थे। लेकिन शेख हसीना सरकार के जाते ही यह कारोबार खतरे में पड़ गया है। हालांकि पड़ोसी देश के इस संकट से भारत को काफी फायदा हो रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से सितंबर के बीच भारत के कपड़ा निर्यात में 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यूएसआईटीसी (यूनाइटेड स्टेट्स इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन) के मुताबिक बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के चलते कपड़ा निर्यात को लेकर भारत की साख बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में राजनीतिक स्थिरता अमेरिकी खरीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसके कारण अमेरिकी ब्रांड बांग्लादेश की तुलना में भारत को उत्पादन और डिलीवरी के लिए एक विश्वसनीय विकल्प मान रहे हैं।
5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के जाते ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और उनके घरों और व्यवसायों पर हमले शुरू हो गए। सुरक्षा कारणों से कारोबारियों ने अपने कारखाने और फैक्ट्रियां बंद कर दीं, जिसके कारण उत्पादन बंद हो गया, जबकि राजनीतिक अस्थिरता के कारण कई ब्रांड बांग्लादेश का विकल्प तलाशने लगे, उनके लिए भारत सबसे उपयुक्त जगह साबित हुआ।
इसके अलावा बांग्लादेश में चल रहे बिजली संकट ने भी कपड़ा उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है। शहरों में कई घंटों तक बिजली न होने के कारण उत्पादन धीमा हो गया, जिससे वैश्विक मांग को पूरा करना मुश्किल हो गया।
बांग्लादेश में हालात इतने खराब हो गए हैं कि कपड़ा कारोबारी अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं। बुधवार सुबह टीएनजेड अपैरल लिमिटेड के कर्मचारियों को सितंबर महीने का वेतन मांगने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सुबह-सुबह ढाका-मैमनसिंह राजमार्ग को जाम कर दिया और वेतन भुगतान की मांग की।
द डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों में से एक ने कहा कि फैक्ट्री में 3300 लोग काम करते हैं और उनमें से किसी को भी सितंबर महीने का वेतन नहीं मिला है, जबकि अक्टूबर महीना खत्म होने वाला है।
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