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Bangladesh में कायरता की हद! अपने ही देश की महिलाओं के साथ कर रहा ये घटिया काम, जानें कैसे खुली पोल?

Raunak Kumar • LAST UPDATED : September 6, 2024, 5:25 pm IST

Bangladesh Women Rights

India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Women Rights: बांग्लादेश में तख्तापलट को हुए एक महीने पुरे हो चुके हैं। लेकिन अभी भी पूरी तरह से शांति स्थापित नहीं हो पाई है। दरअसल, महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा अब तक एक समस्या बनी हुई है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका, कार्यकर्ता और डॉक्टर तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि शेख हसीना के जाने से बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों की पकड़ मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ेगा। उनका दावा है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करेंगे। जिससे महिलाओं की अधिकारों को छीन लिया जाएगा। बांग्लादेश में शेख हसीना के पीएम पद से हटने और देश छोड़ने के बाद सरकार इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथ में है। जिन कट्टरपंथियों को शेख हसीना ने जेल में डाला था, उन्हें भी अब रिहा किया जा रहा है।

तस्लीमा नसरीन ने क्या कहा?

गौरतलब है कि लेखिका तस्लीमा नसरीन कई सालों से भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं। नसरीन को डर है कि आने वाले समय में बांग्लादेश में शरिया कानून लागू हो जाएगा और इसका सबसे बुरा असर महिलाओं पर पड़ेगा। लेखिका नसरीन ने दावा किया कि शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं को कोई अधिकार नहीं मिलेंगे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में असहिष्णुता बढ़ रही है, अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाएं जल्द ही बिना किसी अधिकार के रह जाएंगी। उन्होंने कहा कि शेख हसीना के शासन के दौरान कई संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था, जो फिर से सत्ता में आ रही हैं।

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क्या है शरिया कानून?

शरिया इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। यह इस्लाम की पवित्र किताब कुरान और सुन्नत और हदीस, पैगंबर मोहम्मद के कार्यों और कथनों से ली गई है। शरिया कानून या शरीयत में महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग माना जाता है। क्योंकि शारीरिक रूप से दोनों समान नहीं हैं। इसी के तर्ज पर उनके अधिकार दिए गए हैं। अपने अधिकार पाने के साथ-साथ महिलाओं के लिए अपनी गरिमा और पवित्रता की रक्षा करना भी जरूरी है। दरअसल, शरिया कानून में महिलाओं की शिक्षा पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन इस्लामी कट्टरपंथी शरिया कानून लागू होने के बाद महिलाओं की आजादी खत्म कर देते हैं और उनकी आजादी खत्म हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरिया कानून लागू होने के बाद इस्लामी कट्टरपंथी महिलाओं की सुरक्षा पर हावी हो जाएंगे और उनकी आजादी और अभिव्यक्ति को रोक देंगे।

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