Britain Protest and White Guilt: जिस देश ने पूरी दुनिया पर लगभग सैकड़ों साल राज किया अब उस पर मुसीबतों का अंबार टूट पड़ा है. जी हां हम बात कर रहे हैं ब्रिटैन की. ब्रिटैन में इस समय लाखों लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मेलबर्न से लेकर लंदन और सिडनी से लेकर पेरिस तक इन दिनों प्रवासियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. ये तीनों ही देश हाई माइग्रेशन रेट की मार झेल रहे हैं और ऐसे में यहां के स्थानीय लोगों का गुस्सा सांतवे आसमान पर है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनमें से दो देश ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में जल्द चुनाव भी आने वाले हैं, इस वजह से भी एंटी इमिग्रेशन के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है. ब्रिटैन के नागरिकों का कहना है कि प्रवासियों की वजह से उनके देश में नौकरियों की कमी, सांस्कृतिक बदलाव और संसाधनों पर बोझ बढ़ गया है. कई तरह के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक कारणों से इन देशों में एंटी-इमिग्रेशन रैलियां आयोजित की जा रही हैं. अब इस बीच white guilt नाम के एक शब्द ने जोर पकड़ लिया है. क्या आप जानते हैं कि ये White Guilt क्या है? एक इस ही शब्द की वजह से ब्रिटैन की आग भड़क उठी है. आइए जान लेते हैं कि White Guilt क्या है?
White Guilt क्या है?
सालों से अंग्रेजों के मन में एक भावना रही है. उसी भावना को white guilt कहा जाता है. यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) ने सैकड़ों सालों तक 50 से अधिक देशों पर राज किया. सैकड़ों देश ऐसे हैं जिन्होंने इनकी मार सही या यूं कहें कि गुलाम बनकर रहे. साफ तौर पर कहा जाए तो UK उपनिवेशवादी रहा. इस देश ने भारत, अफ्रीका, कैरेबियन, एशिया जैसे देशों को अपना गुलाम बनाया, इस दौरान इन देशों को UK ने पूरी तरह लूटा. आज भी ब्रिटेन के समाज में यह चर्चा होती है कि “हमारे पूर्वजों ने जो किया, क्या हमें उसके लिए शर्मिंदा होना चाहिए और उसकी भरपाई करनी चाहिए? बस इसी भावना को white guilt कहा जाता है.
Britain Immigration में क्या है White Guilt का रोल
वर्ल्ड वॉर 2 के बाद ब्रिटेन में Commonwealth देशों जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कैरेबियन से बड़ी संख्या में लोग बसने आए. ये लोग ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में ज़रूरी काम करते थे जैसे फैक्ट्रियां, ट्रांसपोर्ट, NHS में डॉक्टर-नर्स. वहीं इन सब के बाद धीरे-धीरे ब्रिटेन की राजनीति में यह नरेटिव बनने लगा कि अप्रवासी ब्रिटेन की पहचान, नौकरियां और संसाधन छीन रहे हैं. इसी के कारन ब्रिटैन में ये आग भड़की और लाखों लोग सड़कों पर आ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे. ब्रिटैन के नागरिकों को डर सताने लगा कि कहीं उनका देश गुलाम न बन जाए.