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India News (इंडिया न्यूज),Canada: नाटो का गठन USSR के प्रभुत्व से लड़ने के लिए हुआ था। जिसके बाद में जब USSR टूट गया, तो यह संगठन रूस के खिलाफ खड़ा हो गया जिसके बाद अभी तक खड़ा है। अमेरिका के नेतृत्व वाले इस संगठन में इसके पड़ोसी देश कनाडा की अहम भूमिका रही है। लेकिन हाल के दिनों में कनाडा और उसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का पूरा ध्यान भारत से पंगा लेने पर रहा है। कनाडा लगातार भारत से भागे खालिस्तानी आतंकियों को पनाह दे रहा है। भारत सरकार ने भी इस पर चिंता जताई है। हालांकि इसका असर कनाडा पर भी दिख रहा है। इसकी अर्थव्यवस्था लगातार नीचे की ओर जा रही है। इस बीच खबर सामने आई है कि कनाडा 32 सदस्यीय नाटो में सबसे कम योगदान देने वाले देशों में से एक बन गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मेजबानी में हो रहे नाटो शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर सोमवार को एक प्रमुख अमेरिकी मीडिया संगठन ने यह जानकारी दी है। प्रमुख अमेरिकी मीडिया संगठन पोलिटिको ने कहा कि, पिछले कई वर्षों में ओटावा 32 सदस्यीय गठबंधन में सबसे कम योगदान देने वाले देशों में से एक बन गया है। यह घरेलू सैन्य खर्च लक्ष्यों को पूरा करने में फेल रहा है साथ ही नए उपकरणो को खरीदने के लिए धन मुहैया कराने में भी फेल रहा है और इस संबंध में इसकी कोई योजना नहीं है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस साल के नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वाशिंगटन पहुंच चुके हैं, जिसकी औपचारिक शुरुआत आज यानी मंगलवार से होनी है। ट्रूडो के कार्यालय ने कहा कि यहां बैठकों के दौरान वह यूरोप भर में नाटो के सामूहिक रक्षा प्रयासों में कनाडा के योगदान को उजागर करेंगे।
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पोलिटिको ने आगे कहा कि, नाटो के 12 संस्थापक सदस्यों में से एक कनाडा ने 2014 में रक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का दो प्रतिशत खर्च करने की प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किए थे। नाटो सदस्यों ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में धीमी प्रगति की है, लेकिन इस साल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की योजनाओं के कारण गठबंधन की पूर्वी सीमा पर बढ़ते खतरे को देखते हुए 32 में से 23 नाटो सदस्य इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
पोलिटिको के अनुसार, नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान, इसके सदस्य कनाडा पर अधिक नकदी जुटाने के लिए दबाव डाल सकते हैं। मीडिया संगठन ने विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी मैक्स बर्गमैन के हवाले से कहा कि, अब जो हो रहा है वह यह है कि हर कोई अधिक खर्च कर रहा है, जबकि कनाडा कोशिश भी नहीं कर रहा है।
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