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India News (इंडिया न्यूज), Mohammad Yunus: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक उथल-पुथल का गौर जारी है। तख्तापलट के बावजूद देश में संवैधानिक संकट जारी है। इन सबके बीच मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार लगातार कुछ ऐसे फैसले ले रही है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस नोबेल पुरस्कार विजेता और मशहूर अर्थशास्त्री हैं, लेकिन उनकी सरकार के फैसले किसी खास मकसद या एजेंडे से प्रभावित नजर आते हैं। हाल ही में यूनुस सरकार ने सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है, जिसका वहां के स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।
बांग्लादेश की तख्तापलट की एक चौंकाने वाली वजह सामने आ रही है। दरअसल सेंट मार्टिन बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित सिर्फ 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला एक द्वीप है। इस द्वीप को जैव विविधता, मत्स्य पालन और पर्यटन समेत कई चीजों के लिए अहम माना जाता है, लेकिन रणनीतिक तौर पर यह और भी ज्यादा अहम है। ऐसा बताया जा रहा है कि, शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट सेंट मार्टिन द्वीप की वजह से हुआ था। दावा किया जाता है कि अमेरिका इस द्वीप पर अपना सैन्य अड्डा बनाना चाहता है और शेख हसीना इसके लिए तैयार नहीं थीं। वहीं यूनुस सरकार ने इस द्वीप पर 4 महीने के लिए पर्यटन पर रोक लगा दी है जिसकी शुरुआत नवंबर से होगी।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की प्रेस सचिव अपूर्वा जहांगीर ने 22 अक्टूबर को सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए कहा था कि अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद ने सेंट मार्टिन द्वीप पर 4 महीने के लिए पर्यटन पर कुछ प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इस बारे में अंतरिम सरकार का कहना है कि, यह फैसला इस द्वीप और कोरल रीफ को पर्यावरण प्रदूषण से बचाने के लिए लिया गया है। सरकार के फैसले के मुताबिक नवंबर में पर्यटक इस इलाके में घूमने आ सकते हैं, लेकिन उन्हें रात भर रुकने की इजाजत नहीं होगी, जबकि दिसंबर और जनवरी में आने वाले पर्यटकों को भी रात भर रुकने की इजाजत होगी लेकिन उनकी संख्या प्रतिदिन 2 हजार से ज्यादा नहीं होगी। प्रेस सचिव अपूर्वा जहांगीर के मुताबिक फरवरी में सफाई के लिए यह द्वीप पर्यटकों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।
सरकार के फैसले का विरोध करते हुए टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश (टीओएबी) के अध्यक्ष मोहम्मद रफीउज्जमां ने कहा कि, अगर पर्यटन को सीमित या बंद कर दिया जाता है तो द्वीप पर रहने वाले करीब 10,000 लोगों की नौकरी चली जाएगी। उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की और कहा कि इससे उद्यमियों का वित्तीय निवेश भी खतरे में पड़ जाएगा। इस बारे में टूर ऑपरेटर शिबुल आजम कुरैशी का कहना है कि, पर्यावरण संरक्षण के लिए द्वीप पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, इसके साथ ही द्वीप पर जनरेटर का इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए और पर्यावरण के अनुकूल सोलर प्लांट लगाए जाने की जरूरत है।
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