खुद को ग्लोबल पावर कहने वाला चीन पढ़ा बढ़ी मुश्किल में, जल्दी अगर नहीं उठाया गया कोई कदम, तो भारत समेत सभी देशों पर पडे़गा असर
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खुद को ग्लोबल पावर कहने वाला चीन पढ़ा बढ़ी मुश्किल में, जल्दी अगर नहीं उठाया गया कोई कदम, तो भारत समेत सभी देशों पर पडे़गा असर

Subham Srivastava • LAST UPDATED : October 30, 2024, 10:02 am IST
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खुद को ग्लोबल पावर कहने वाला चीन पढ़ा बढ़ी मुश्किल में, जल्दी अगर नहीं उठाया गया कोई कदम, तो भारत समेत सभी देशों पर पडे़गा असर

China Economy Crisis : चीन में अर्थव्यवस्था संकट

India News (इंडिया न्यूज), China Economy Crisis : अपनी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए चीन ने हाल ही में 1.07 ट्रिलियन डॉलर के भारी भरकम पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज की वजह से उसके शेयर बाजारों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। इसका असर ये हुआ है कि कुछ विदेशी निवेशक भारत जैसे देशों से अपना पैसा निकालकर चीनी बाजार में लगाया है। लेकिन वहीं कुछ निवेशक ऐसे भी हैं जिन्हें चीन के इस पैकेज की सफलता पर संदेह हैं और उनका ये संदेह सही साबित हो रहा है। क्योंकि अभी तक जमीनी स्तर पर चीनी पैकेज का इसर होते हुए नहीं दिख रहा है। तीसरी तिमाही में देश में उपभोक्ता कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। ऐसा लगातार छठी तिमाही में हुआ है और वर्ष 1999 के बाद से यह गिरावट की सबसे लंबी अवधि है। माना जा रहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था पहले ही मंदी में फंस चुकी है और इससे बाहर निकलने में उसे काफी समय लग सकता है। चीन में अपस्फीति जारी है। वर्ष 2008 में देश में लगातार पांच तिमाहियों तक अपस्फीति की स्थिति रही थी, लेकिन इस बार यह उससे भी आगे निकल गई है। पूरी दुनिया महंगाई से जूझ रही है लेकिन चीन में हालात बदल रहे हैं। दिक्कत यह है कि अपस्फीति को महंगाई से भी बदतर माना जाता है। यह चीजों की कीमतों में गिरावट है। इसका संबंध अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति और ऋण में गिरावट से है।

डिफ्लेशन की समस्या

डिफ्लेशन को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। अगर आपको पता है कि कल चीजों की कीमत गिरने वाली है, तो आप आज क्यों खरीदेंगे? इस तरह से अर्थव्यवस्था एक तरह से जम जाती है। 1990 के दशक में जापान के साथ भी यही हुआ था। आज भी जापान उस स्थिति से बाहर नहीं निकल पाया है। वहीं चीन की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। बेरोजगारी एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, विनिर्माण में गिरावट आई है और रियल एस्टेट क्षेत्र संघर्ष कर रहा है। उपभोक्ता मांग कमजोर है। चीनी ग्राहक ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे देश मंदी में है।

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वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरे का संकेत

पिछले कुछ सालों से अमेरिका और चीन के बीच संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। दोनों देश एक-दूसरे की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने में लगे हुए हैं। अमेरिका ने चीन से आयातित कई वस्तुओं पर शुल्क बढ़ा दिया है जिसे अगले चरणों में लागू किया जाएगा। अगर चीन में मंदी आती है तो इसकी असर पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा। इसके पीछे की वजह ये है कि पिछले तीन दशकों से चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बना हुआ है। यही कारण है कि चीन में मंदी की संभावना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरे का संकेत है।

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