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इंडिया न्यूज, बीजिंग: चीन में सूखे से निपटने के लिए करवाई गई कृत्रि बारिश वहां के लोगों के लिए आफत बन गई है। हालात ऐसे बन गए कि करीब एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। अभी भी चीन के करीब 15 शहरों में बाढ़ और भूसख्लन का खतरा बना हुआ है। दरअसल वर्तमान में चीन करीब 6 दशक के सबसे भयानक सूखे से जूझ रहा है। ज्यादात्तर शहरों का तापमान 40 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। इसी के चलते राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दो शहरों पर कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय लिया। उनका यह निर्णय गलत साबित हुआ। इस कृत्रिम बारिश से राहत की जगह आफ्त पैदा हो गई।
दरअसल काफी समय से पड़ रही गर्मी और सूखे की वजह से मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता कम हो गई। इस दौरान जब क्लाउड सीड़िग से कृत्रिम बारिश करवाई गई तो काफी ज्यादा मात्रा में पानी बरसा। मिट्टी इसे एकदम से सोख नहीं पानी और यह पानी ढलान वाले क्षेत्रों की तरफ तेजी से बह गया। जिसके चलते निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। दूसरा जब बारिश का पानी सूखी पहाड़ियों पर बसरा तो मिट्टी चिकनी होने के चलते वहां लैंड स्लाइडिंग का खतरा पैदा हो गया।
चीन में इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा 40 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसी वजह से करोड़ों लोगों की लाइफलाइन कही जाने वाली और चीन की प्रमुख नदी यांग्त्जी सूखने के कगार पर पहुंच गई है। इसके साथ ही ताजे पानी की पेयोंग झील भी तेजी से सूख रही है। कम बारिश का प्रभाव चीन के उद्योग पर भी देखने को मिल रहा है। सिचुआन शहर में स्थित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों फॉक्सकॉन, टेस्ला और टोयोटा के प्लांट बिजली कमी के चलते पिछले 15 दिन से बंद पड़े हैं जिसके चलते उन्हें हर रोज करोड़ों डॉलर का नुकसान हो रहा है
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