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नई दिल्ली: शी जिनपिंग (Xi Jinping) तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति पद पर बरकरार रहने की तैयारी में है लेकिन इस बार चाइना कि एक बड़ी आबादी में उनके प्रति असंतोष देखा जा रहा है. रिपोर्ट्स के माने तो चीन में जिनपिंग का विरोध करने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए और राजधानी बीजिंग में कई लोगों को जेल में डाल दिया गया।
जेल में डाले गए लोगों को अपराधी करार दिया गया है लेकिन जानकारों का कहना है कि जिनपिंग का विरोध करने के वजह से ही उन्हें कैद किया गया है। जिनपिंग पर आरोप है कि वह अपने खिलाफ लोगों की आवाज दबाने के लिए कोरोना लॉकडाउन के प्रतिबंधों को जबरन लागू करने का सहारा ले रहे हैं.
चीनी सोशल मीडिया पर जिनपिंग के खिलाफ तस्वीरों को सेंसर किया जा रहा है. राष्ट्रपति जिनपिंग के खिलाफ तानाशाह, जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए पोस्टर बनाए जा रहे हैं, पोस्टर में शी जिनपिंग की 0 कोविड़ पॉलिसी का भी विरोध किया जा रहा है और लोगों से हड़ताल करने की अपील की जा रही है. पोस्टर में दरअसल, चीनी जनता का आरोप है कि कोरोना टेस्ट के नाम पर उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है. राजधानी बीजिंग के एक व्यस्त चौराहे पर कम्युनिस्ट नेतृत्व की आलोचना करने वाले बैनरों की रिपोर्ट मिलने के बाद गुरुवार (13 अक्टूबर) को चीन के इंटरनेट सेंसर ने सोशल मीडिया पोस्ट को खंगालना शुरू कर दिया.
पोस्टर के जरिये कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया गया. हालांकि, चीन में राजनीतिक के खिलाफ विरोध करना बहुत मुश्किल है लेकिन पुलिस इस हफ्ते कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस के लिए हाई अलर्ट पर है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपती के खिलाफ विद्रोह को दबाने के लिए कई शहरों में फिर से कोरोना का हवाला देते हुए लॉकडाउन लगा दिया है. कई शहरों में यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. उत्तर चीन के शांक्सी प्रांत के फेनयांग शहर में लॉकडाउन लग गया है. मंगोलिया की राजधानी होहोट में आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. शंघाई के करीब ढाई करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है और चीन के कई शहरों में स्कूल और पर्यटन स्थल भी बंद किए गए हैं.
एक तरफ पूरी दुनिया में जब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं इसी बिच चीन में केस बढ़ रहे हैं. इसीलिए शी जिनपिंग इ पर शक की नजरों से देखा जा रहा है . माना जा रहा है कि जिनपिंग को इस बात का संदेह है कि जब उनके तीसरे कार्यकाल की दावेदारी पर मुहर लगने जा रही है तब उनके खिलाफ बगावत हो सकती है. इसलिए विद्रोह को दबाने के लिए जिनपिंग लोगों पर जबरन लॉकडाउन लगा रहे हैं. बता दें कि चीन के राष्ट्रपति का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है. 16 अक्टूबर को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक होनी है जिसमें अगले राष्ट्रपति के नाम पर मुहर लगेगी.
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